नागरिकता (संशोधन) विधेयक, CAA सोमवार (11 मार्च, 2024) को देशभर में लागू हो गया है. इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैल-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इनमें हिंदू, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी और जैन धर्म के लोग शामिल हैं. 2019 में यह कानून लाया गया था. राष्ट्रपति से कानून को मान्यता भी मिल गई, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका. कानून को लेकर कई राज्यों में खूब विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके चलते इसको लागू नहीं किया जा सका था.
सीएए लागू होने के बाद विपक्षी दल केंद्र सरकार को घेरने में लगे हैं. उनका कहना है कि सरकार ने जानबूझकर चुनाव से ठीक पहले इसे लागू किया है. आइए जानते हैं सीएए लागू होने का चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ सकता है-
- आगामी चुनावों के दौरान ध्रुवीकरण
- इससे यह छवि बनेगी कि पार्टी अपनी विचारधारा और वादे पर सख्ती से कायम है
- इससे बीजेपी का कोर वोटर मजबूत होगा
- इसका मुख्य असर पश्चिम बंगाल और असम में देखने को मिलेगा
क्यों लाया गया सीएए
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है. इसके तहत 31 दिसबंर 2014 या उससे पहले भारत आए लोगों की ही मान्यता दी जाएगी. विधेयक भारत में किसी भी अल्पसंख्यक के खिलाफ नहीं है और हर भारतीय नागरिक के अधिकारों को समान रूप से संरक्षित किया जाएगा.
पहली बार कब लाया गया सीएए
साल 2019 में सरकार ने लोकसभा में विधेयक पेश किया था और 9 दिसंबर इसे पारित कर दिया गया. इसके बाद 11 दिसंबर, 2019 को राज्यसभा से भी कानून को मंजूरी मिल गई. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने भी इसे मान्यता दे दी और इसी दिन सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया और सरकार ने कहा कि 10 जनवरी 2020 से CAA कानून लागू हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सरकार की तरफ से कहा गया कि नियम तैयार नहीं हो सके हैं इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सका. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 6 महीने के अंदर कानून को अमली-जामा पहनाया जाना होता है. जनवरी 2024 में गृह मंत्रालय को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए लोकसभा में अधीनस्थ कानून पर संसदीय समिति से एक और विस्तार मिला था.
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. दिसंबर 2019 से CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और मार्च, 2020 तक कोरोना महामारी जारी रही. सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समुदाय की ओर से देखा गया. सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन असम, दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, शाहीन बाग, पश्चिम बंगाल, यूपी और कर्नाटक में देखे गए. कई जगह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 200 लोग घायल हुए. इसके चलते देशभर में 3000 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई.
नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में रैलियां और प्रदर्शन
नई दिल्ली, मुंबई, नागपुर, बेंगलुरु, देहरादून और कई अन्य स्थानों पर सीएए के समर्थन में रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए गए. दिसंबर, 2019 में कोलकाता में एक रैली का नेतृत्व भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने किया और इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित हिंदू शरणार्थियों ने भाग लिया. इन रैलियों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की निंदा की गई और सीएए पर निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की गई.
इन राज्यों में CAA के विरोध में प्रस्ताव पास
सीएए के खिलाफ 6 राज्यों में प्रस्ताव पास किया गया है. इनमें केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, तेलंगाना शामिल हैं. इन राज्यों की विधानसभा में सीएए लागू न करने की प्रस्ताव पास किया जा चुका है.