Citizenship Amendment Act: सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट यानि CAA सोमवार (11 मार्च, 2024) से भारत के कुछ राज्यों में कुछ खास तरह के लोगों को शर्तों के साथ नागरिकता देने का कानून अमल में आएगा. सरकार अब नागरिकता देने के नियम और तरीके बता रही है. जो लोग CAA कानून की शर्तों को पूरा करेंगे उन्हें भारत के नागरिक होने का गौरव मिलेगा. 


कई दशक से अपने हक के लिए तरस रहे लोगों का सपना पूरा होगा. कुछ लोगों का मानना है कि ये एक चुनावी स्टंट है, जिसे ऐन लोकसभा चुनाव से पहले इसलिए लागू किया गया है ताकि एक तीर से दो निशाने साधे जा सकें. ये नागरिकता का कानून है या वोट का रजिस्टर. आइए जानते हैं-


गृहमंत्री अमित शाह ने जारी किया है सीएए से जुड़े 39 पन्ने का दस्तावेज जारी किए हैं. इसमें नागरिकता लेने के कई फॉर्म हैं. हर फॉर्म का अपना एक विषय है. 



  • भारत में विदेश से आए लोगों के लिए

  • भारत में विवाह करने वाले लोगों के लिए

  • नाबालिग बच्चे के लिए

  • भारतीय माता पिता के बच्चे

  • भारतीय मां या पिता के बच्चे के लिए

  • ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया कार्ड होल्डर

  • भारत में आकर सिटिजन की तरह रहने वाले लोगों के लिए


इसके अलावा दस्तावेज में 3 तरह के सर्टीफिकेट का भी जिक्र है. जिनमें से ये प्रमुख हैं- 



  • सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन

  • सर्टिफिकेट ऑफ नेचुरलाइजेशन

  • योग्यता सर्टिफिकेट


CAA कानून में नागरिकता का आवेदन करने वाले को बताना होगा कि क्या उसने पहले कभी भारत की नागरिकता छोड़ी थी, क्या पहले कभी भारत की नागरिकता का आवेदन किया था या क्या पहले कभी नागरिकता की एप्लीकेशन रिजेक्ट की गई है. नागरिकता की अर्जी देने वाले को घोषणा करनी होगी कि वो भारत को स्थाई घर बनाकर रहेगा. CAA लागू होने के बाद आप सोच रहे होंगे कि इससे बदलाव क्या होगा, किसे नागरिकता मिलेगी, किसका फायदा होगा, चलिए आपको बताते हैं-



  • CAA लागू होने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

  • हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन पारसी ईसाई शरणार्थियों को ही भारत की नागरिकता दी जाएगी.

  • सबसे बड़ी बात ये है कि जिन शरणार्थियों ने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया है, नागरिकता सिर्फ उन्हें ही दी जाएगी.

  • CAA कानून से भारतीय नागरिकों के अधिकारों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.


नागरिकता देने के लिए सरकार बड़ी तैयारी कर रही है. अब इस प्रक्रिया को बंगलादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए शरणार्थी कैसे पूरा करेंगे, जानते हैं-



  • शरणार्थी आवेदकों को ऑनलाइन पोर्टल पर भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा.

  • भारत की नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा.

  • रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार आवेदकों की जांच पड़ताल करेगी. नियम के मुताबिक,सबकुछ ठीक रहा तो आवेदक को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी.

  • पहले नागरिकता लेने के लिए 11 साल रहना जरूरी था. नए कानून में 6 साल रहने के बाद ही नागरिक बन जाएंगे. सबसे बड़ी बात ये कि यह विदेशियों को निकालने का कानून नहीं, बल्कि तीन देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है.


अब सवाल है कि नागरिकता कानून से कितने लोगों का फायदा होगा. इसपर सरकार के पास आंकड़े हैं. 2016 से 2020 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत दूसरे देशों से आए  10 हजार 645 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन दिया था. पिछले 6 साल में 5 हजार 950 लोगों को ही नागरिकता मिली है. अगर रिलीजियस माइनॉरिटी की बात करें तो 2018 से 2021 तक 3 हजार 117 विदेशी भारत के नागरिक बने.


 







CAA जब लागू होगा तब पश्चिम बंगाल और असम जैसे सूबे में खूब सियासत होगी, लेकिन उससे पहले उत्तराखंड सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड यानि एक देश एक कानून लाने की वकालत की है. CAA लागू होने की टाइमिंग पर सवाल उठने लगे हैं. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि अगर CAA से नागरिकता रद्द हुई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दूसरी तरफ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि संविधान में हर व्यक्ति को उसके धर्म पालन करने का अधिकार है, दिग्विजय ने CAA को भारतीय संविधान के खिलाफ बताया.


अगर इस कानून पर चुनावी असर की बात करें तो राजनेताओं का दावा है कि पश्चिम बंगाल की 42 सीट, असम की 14, त्रिपुरा की 2 और जम्मू-कश्मीर की 5 सीट पर इसका असर पड़ सकता है. इस वजह से राजनीतिक दलों को लग रहा है कि अगर चुनाव से ठीक पहले CAA लाया गया है तो इसके पीछे बीजेपी सरकार की कोई मंशा है.


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