Citizenship Amendment Act: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) 2019 लागू किया जा चुका है. सोमवार (11 मार्च, 2024) को इससे जुड़ा नोटिफिकेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जारी किया. हालांकि, देश के कुछ इलाके इसके दायरे से बाहर रहेंगे. ये नॉर्थ ईस्ट (पूर्वोत्तर) के जनजातीय इलाके हैं, जहां पर सीएए लागू नहीं होगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में सीएए लागू नहीं किया जाएगा, जिनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल है. कानून कहता है कि इसे उन सारे पूर्वोत्तर राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा, जहां देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले लोगों को यात्रा के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) की जरूरत होती है. आईएलपी पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है.
स्वायत्त परिषदें भी दायरे से हैं बाहर
अफसरों ने नियमों के हवाले से बताया कि जिन जनजातीय क्षेत्रों में संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदें बनाई गई हैं, उन्हें भी सीएए के दायरे से बाहर रखा गया है. असम, मेघालय और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले आया नोटिफिकेशन
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने ऐसे वक्त पर सीएए को लागू किया है, जब कुछ ही समय बाद लोकसभा चुनाव 2024 होने हैं. विवादों में रहे सीएए को अब लाने को लेकर विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए गए हैं और पूछा गया कि मोदी सरकार पांच साल से क्या कर रही थी? वह इसे पहले लेकर क्यों नहीं आई. वह इसके जरिए ध्रुवीकरण को अंजाम देना चाहती है.
CAA के तहत किन्हें मिलेगी भारत की नागरिकता?
सीएए के जरिए पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले इंडिया आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी. 2019 में संसद में पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी. हालांकि, देश में तब सीएए के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए थे. यह कानून अब तक इसलिए भी लागू नहीं हो पाया था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक नोटिफाई किया जाना बाकी था.