CAA Rules Notification Highlights: सीएए से नहीं जाएगा किसी का रोजगार- CM केजरीवाल को बीजेपी के रविशंकर प्रसाद का जवाब
CAA Rules Notification Highlights: बीजेपी के रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान यह भी सवाल उठाया कि आखिरकार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल वोटों के लिए कहां तक जाएंगे?
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने CAA को लेकर कहा, "भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए अच्छा होगा अगर मुसलमानों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बिल पारित हो गया इसलिए हमारा रुख यही है. जो एक्ट पारित हो गया, उसे लागू करना चाहिए, जो बचे हैं, उसके संबंध में आने वाले दिनों में चर्चा की जा सकती है. क्योंकि जिन लोगों के लिए कानून बना है, उन्हें इसका लाभ मिलना ही चाहिए."
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सीएए नोटिफिकेशन पर कहा, "अगर हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी या जैन समुदाय के लोग पाकिस्तान या अफगानिस्तान में अत्याचार का सामना कर रहे हैं...तो कोई उनके दर्द के बारे में कैसे नहीं सोच सकता? वह (अरविंद केजरीवाल) दिल्ली से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं और पूछते हैं कि उन्हें वापस लाने की क्या जरूरत है? कांग्रेस ने जो पिछले 75 साल में नहीं किया, वह पीएम मोदी ने कर दिया. यह कानून नागरिकता देने के लिए है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं."
सीएए लागू होने पर आम आदमकी पार्टी के नेता मालविंदर सिंह कांग ने कहा, "सीएए लागू करने के पीछे केंद्र सरकार का एकमात्र उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देना है. करोड़ों युवा अग्निवीर योजना के माध्यम से गुमराह होकर रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और मुद्रास्फीति अपने चरम पर है."
CAA को लेकर कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, "यह बिल्कुल गलत है. मुझे नहीं पता कि उन्होंने (केंद्र सरकार) इतना बड़ा जोखिम क्यों उठाया है. देश में हर कोई महत्वपूर्ण है.”
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार (12 मार्च, 2024) को बताया कि सीएए पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है जिनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं. मंत्रालय ने सीएए को लेकर मुसलमानों और छात्रों के एक वर्ग की आशंका दूर करने की कोशिश करते हुए यह भी साफ किया, "इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा."
दक्षिण भारत के केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए और राज्य सरकार सीएए लागू करने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने पर भी मंथन कर रही है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका पुरजोर बचाव किया है. पार्टी की ओर से कहा गया कि यह कानून मुस्लिमों को निशाना नहीं बनाता है.
नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं. उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है. मामला सुप्रीम कोर्ट में पेडिंग है. ऐसे में सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था. याचिकाकर्ता आज यानी बुधवार (13 मार्च, 2024) को सुप्रीम कोर्ट से मामले पर फौरन सुनवाई की मांग करेंगे.
सीएए को लेकर शिवसेना (यूबीटी गुट) के मुखिया और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा- जब मैं सीएम थ तब ये लोग (बीजेपी वाले) देश में सीएए और एनआरसी का भूत/जिन्न लेकर आए थे. उस समय लोगों के दिल और दिमाग में इसे लेकर डर था. खासकर असम के लोगों के बीच तब खौफ था. कोर्ट में इस कानून के खिलाफ कई सारी याचिकाएं दी जा चुकी हैं. अदालत का फैसला इस पर नहीं आया है पर सीएए का नोटिफिकेशन लाया जा चुका है. ये लोगों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहते हैं और उन्हें धर्म के नाम पर लड़ाकर दंगे कराना चाहते हैं. आने वाले चुनाव में एक तरफ बीजेपी है जो कि विभिन्न धर्मों के बीच नफरत फैला रही है, जबकि दूसरी तरह देशभक्त इंडिया गठबंधन है. यह चुनाव देशभक्त बनाम हेटर्स (नफरत करने वाले) के बीच होने वाला है. अगर आप विदेशों से हमारी जगहों पर हिंदुओं को लाना चाहते हैं तो उससे पहले आपको कश्मीरी पंडितों को वापस लाना चाहिए और फिर सीएए लाना चाहिए.
सीएए को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है. बुधवार (13 मार्च, 2024) को उन्होंने सवाल उठाया, "आखिरकार बीजेपी और पीएम मोदी के मुद्दे क्या हैं? 10 साल में अन्याय हुआ है. इनका इस चुनाव में एक ही हथियार है और वह ध्रवीकरण है. सीएए चार साल और तीन महीने बाद लाया गया. अब यह इसे लेकर आए हैं. चुनाव में जब एक महीना बचा है, तब यह इसे लेकर आए हैं. ध्रुवीकरण का बूस्टर डोज देने के लिए वह इसे लाए हैं."
सीएए को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने कहा कि तमिलनाडु और पश्चि बंगाल की सरकार ने रुख साफ (वे अपने-अपने राज्यों में सीएए लागू नहीं करेंगे) कर दिया है. हम भी सीएए के खिलाफ थे क्योंकि इसके जरिए धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाएगी और यह चीज संविधान के खिलाफ है. यही वजह है कि इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है...उन्हें इसे लागू करने में चार साल और तीन महीने क्यों लग गए?
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल आज सीएए को लेकर अपनी बात रखेंगे. वह सुबह इस संदर्भ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
बैकग्राउंड
Citizenship Amendment Act Rules Notification Highlights: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार (13 मार्च, 2024) को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के जरिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सिर्फ और सिर्फ वोटबैंक की गंदी राजनीति कर रही है. वह इसके जरिए देश के बच्चों का हक छीनना चाह रही है. हालांकि, इसका जवाब देते हुए बीजेपी की ओर से रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सीएए से न तो किसी की नागरिकता जाएगी और न ही इससे किसी का रोजगार जाएगा. विपक्षी दलों के लोगों की सियासी जमीन खिसक रही है. ये सांप्रदायिक उन्माद फैला रहे हैं.
दिल्ली सीएम से एक दिन पहले शिवसेना (यूबीटी गुट) के मुखिया उद्धव ठाकरे ने सीएए को लेकर बताया था कि जब वह सीएम थे तब बीजेपी वाले देश में सीएए और एनआरसी का जिन्न लेकर आए थे. तब भी लोगों में इसे लेकर डर था. खासकर असम के लोगों के बीच तब खौफ था. कोर्ट में इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएं दी जा चुकी हैं. अदालत के फैसले से पहले सीएए का नोटिफिकेशन आ गया.
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि ये (बीजेपी वाले) सिर्फ और सिर्फ लोगों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहते हैं और उन्हें धर्म के नाम पर लड़ाकर दंगे कराना चाहते हैं. आने वाले चुनाव में एक तरफ बीजेपी है जो कि विभिन्न धर्मों के बीच नफरत फैला रही है, जबकि दूसरी तरह देशभक्त इंडिया गठबंधन है. यह चुनाव देशभक्त बनाम हेटर्स (नफरत करने वाले) के बीच होने वाला है. अगर आप विदेशों से हमारी जगहों पर हिंदुओं को लाना चाहते हैं तो उससे पहले आपको कश्मीरी पंडितों को वापस लाना चाहिए और फिर सीएए लाना चाहिए.
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