Citizenship Amendment Act: देश में नागरिकता संशोधन अधिनियन (CAA) लागू होने के बाद कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो कुछ समर्थन जाहिर कर रहे हैं. मुस्लिमों के एक संगठन सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौसर हसन मजीदी ने सीएए का समर्थन किया है.


कौसर हसन मजीदी ने सीएए को लेकर भ्रांतियां फैलाने में शामिल लोगों पर निशाना भी साधा है और साथ ही मुस्लिम समाज को ऐसे लोगों से दूर रहने की सलाह भी दी है. उन्होंने कहा कि सीएए का सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर भारत के मुसलमानों से कुछ भी लेना-देना नहीं है.


क्या बोले कौसर हसन मजीदी?


न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कौसर हसन मजीदी ने कहा, ''ये जो संशोधित नागरिकता अधिनियम लाया गया है, इसका भारत के नागरिकों के साथ कोई संबंध नहीं है. उसी प्रकार से भारत के मुस्लिम नागरिक को का भी इससे कोई संबंध नहीं है.''


'CAA का कोई भी प्रभाव मुस्लिम समाज पर नहीं पड़ेगा'


कौसर हसन मजीदी ने कहा, ''ये अधिनियम जो लाया गया है, पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश में रह रहे वहां के अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई वगैरह, जिनको धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया जाता रहा है और वो लोग जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आकर निवास कर रहे हैं, शरणार्थी के रूप में निवास कर रहे हैं, उनको भारत की नागरिकता देने के लिए कानून लाया गया है. इसका किसी भी प्रकार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है और इस कानून का किसी भी प्रकार का कोई भी प्रभाव मुस्लिम समाज पर पड़ने वाला नहीं है.''


'कुछ ताकतें आज भी विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रही'


कौसर हसन मजीदी ने कहा, ''इस विषय में जो भ्रम फैलाया जा रहा है, जो लोग भी ये भ्रम उत्पन्न कर रहे हैं कि मुस्लिम समाज को इससे कोई परेशानी होगी या उनकी नागरिकता चली जाएगी, मुस्लिम समाज को ऐसे तत्वों से होशियार रहना चाहिए. ये वही ताकतें हैं जो मुस्लिम लीडरशिप के नाम पर देश में पहले भी विभाजन कराती थीं और आज भी विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं. सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम किसी भी प्रकार से मुसलमानों के किसी भी हित को प्रभावित नहीं करता है.''


'मुसलमानों को धोखा दे रहे जिन्ना के वंशज'


सीएए को लेकर गलतफहमी की वजह के बारे में पूछे जाने पर कौसर हसन मजीदी ने कहा, ''वजह साफ है वो शक्तियां, वो जो भारत के विभाजन में हमेशा पेश-पेश (आगे-आगे) रहीं, जिन्ना के उत्तराधिकारी, जिन्ना के वंशज जो मुस्लिम लीडरशिप की विचारधारा को लेकर के हमेशा से आगे बढ़ते रहे हैं, वहीं लोग अपने वोटबैंक को साधने के लिए और मुसलमानों को धोखा देने के लिए उनको मुख्यधारा से दूर रखने के लिए और उनको बहुसंख्यक समाज के साथ वैमनस्यता बनाए रखने के लिये ये उनके सब प्रोपेगैंडे हैं और जिनका मुस्लिम समाज को विरोध ही नहीं करना चाहिए, बल्कि इनसे दूर रहना चाहिए.''


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