Citizenship Amendment Act: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार (12 मार्च) से देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू कर दिया, लेकिन सरकार को इसे लागू करने में बहुत लंबा समय लग गया. शासन के मामले में निर्णायक होने का दावा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार को सीएए 2019 की अधिसूचना जारी करने में 1,521 दिन लग गए. आइए जानते हैं कि आखिर केंद्र सरकार को इसे लागू करने में इतना समय क्यों लगा.
सीएए 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पास हुआ. अगले दिन राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किए. 10 जनवरी, 2020 को इसे राजपत्र में अधिसूचित करने में सरकार को एक और महीना लग गया. नियम बनाने में देरी को कुछ लोगों ने सत्तारूढ़ भाजपा के चुनावों से लाभ उठाने के दांव के रूप में देखा. यह मुद्दा 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान उठा और भाजपा ने इसे लागू करने का वादा किया, लेकिन कोई निश्चित समयसीमा नहीं बताई.
विरोध-प्रदर्शनों ने लगाया सबसे बड़ा अड़ंगा
एक्सपर्ट का कहना है कि कहीं न कहीं इस कानून में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धर्म के मानदंड जुड़े हैं, इसलिए भी बड़ी संख्या में इसे लेकर लोग विरोध-प्रदर्शन करते रहे. तब प्रदर्शन करने वालों का कहना था कि इस कानून का उद्देश्य देश में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करना और प्रमुख क्षेत्रों में मतदान करने वाले नागरिकों की जनसांख्यिकी को ख़राब करना है. इसके जवाब में मोदी सरकार ने कानून लागू करने में और देरी की और वह इस लेकर कछुए की गति से चलती रही.
पहले स्थायी समितियों से नहीं मिला समय, फिर कोरोना
वर्ष 2020 के बीच से लगभग हर तीन महीने में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने लोकसभा और राज्यसभा में इसे लेकर संसदीय स्थायी समितियों से समय मांगा. इसके बाद कोरोना वायरस आ गया और एक बार फिर इसे लागू करने में देरी हुई. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने मंत्रालय का बचाव करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण ही इसके लागू होने में देरी हुई.
अब इसे लागू करने के पीछे ये हो सकती है वजह
वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े का कहना है कि यह आश्चर्यजनक है कि सरकार को सीएए नियमों को अधिसूचित करने के लिए इतना समय लग गया. हेगड़ने पीटीआई से कहा, "अधिनियम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है. वहां से कोई विशेष रोक नहीं है, कुछ समय से मामले की सुनवाई नहीं हुई है. इस बीच नियमों को अधिसूचित किया गया है और मुझे यकीन है कि नियमों के कार्यान्वयन के संबंध में, उचित याचिकाएं दायर की जाएंगी. यह संभव है कि सरकार आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इन नियमों को अधिसूचित करना चाहती थी."
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