Lurinjyoti Gogoi On CAA: असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का मुद्दा शांत होता नजर नहीं आ रहा है. राज्य की डिब्रूगढ़ लोकसभा सीट से यूनाइटेड अपोजिशन फोरम, असम (यूओएफए) समर्थित उम्मीदवार लुरिनज्योति गोगोई ने कहा कि असम के लोग सीएए को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, विदेशियों की अवैध घुसपैठ असम में लंबे समय से चिंता का कारण रहा है. बीजेपी ने अब इस अधिनयन (सीएए) को वैध बना दिया है, जो यहां के लोगों को मंजूर नहीं है.


'सीएए के कारण असम की पहचान दांव पर'


चुनाव प्रचार के दौरान लुरिनज्योति गोगोई ने कहा, "असम में अवैध घुसपैठ के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन चल रहा है, सीएए के साथ ही असम की अपनी पहचान दांव पर लगी है. असम ने 1971 तक और इससे बाद 2014 तक अवैध विदेशियों का बोझ उठाया है."


विपक्षी उम्मीदवार लुरिनज्योति गोगोई ने आरोप लगाया, "सीएए पूरी तरह से सांप्रदायिक और असंवैधानिक है. यह असम और उसके संसाधनों पर और अधिक बोझ डालने की बीजेपी की चाल है. हमारे संविधान में धर्म निरपेक्षता का सिद्धांत निहित है, लेकिन यह अधिनियम (सीएए) पर आधारित है."


'सीएए एक खतरनाक मुद्दा'


एपीजे पार्टी के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने कहा, "विपक्षी पार्टियां सीएए को लेकर प्रदर्शन कर रही है. यह बहुत ही गंभीर और खतरनाक मुद्दा है, जिसका राज्य के लोगों पर आर्थिक, सामाजिक भाषाई प्रभाव भी पड़ेगा." ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) के महासचिव के रूप में सीएए विरोधी आंदोलन में लुरिनज्योति गोगोई सबसे आगे थे.


डिब्रूगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला 


सीएए आंदोलन के बाद साल 2020 में असम में दो राजनीतिक दलों का गठन हुआ था. इसमें एक पार्टी का नाम असम जातीय परिषद है, जिसके अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई हैं वहीं दूसरी पार्टी रायजोर दल है, जिसका नेतृत्व अखिल गोगोई ने किया था. डिब्रूगढ़ सीट पर बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और आम आदमी पार्टी ने मनोज धनोवार को टिकट दिया है इस वजह से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.


लुरिनज्योति गोगोई ने कहा, "बीजेपी ने चाय बागान के कर्मियों से कई वादे किए, लेकिन उन्हें पूरा करने में विफल रही. उन्होंने (बीजेपी) दैनिक मजदूरी का वादा भी पूरा नहीं किया."


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