नई दिल्ली: कर्नाटक के मंगलौर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस थाने में आग लगाने के आरोपी 21 लोगों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. 19 दिसंबर को हुई हिंसा के इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत दी थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगाते हुए आरोपियों को नोटिस जारी कर दिया.
19 दिसंबर को मंगलौर में CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों एक भीड़ ने एक पुलिस थाने पर हमला बोल दिया था. उन्होंने पुलिसवालों पर जानलेवा हमला किया और थाने में आग लगा दी. जवाब में पुलिस को गोली चलानी पड़ी. इसमें 2 लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हो गए. बाद में सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पहचान कर 21 लोगों की गिरफ्तारी की गई.
मामले में गिरफ्तार होने वाले मोहम्मद आशिक और 20 लोगों के तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई जुड़े होने का पुलिस को अंदेशा है. पुलिस साजिश के तमाम पहलुओं की जांच कर रही है. लेकिन पिछले दिनों कर्नाटक हाई कोर्ट ने मामले में पुलिस की तरफ से जुटाए गए सबूतों को नाकाफी मानते हुए आरोपियों की रिहाई का आदेश दे दिया था.
आज कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला रखा. उन्होंने चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया कि घटना के पीछे गहरी साजिश की आशंका है. भीड़ का इरादा पुलिस वालों की जान लेने का था. उन्होंने पूरी योजना के साथ थाने में आग लगाई थी. ऐसे में उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता है. इन लोगों को जमानत पर रिहा करने का हाई कोर्ट का आदेश रद्द किया जाना चाहिए.
सॉलिसिटर जनरल की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. इसके चलते थाने में आग लगाने के आरोपी फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.