कैब और टैक्सी ड्राइवर्स का हल्ला बोल, पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की बढ़ती कीमतों के खिलाफ किया प्रदर्शन
टैक्सी ड्राइवरों की पांच यूनियनों के अनुसार कोरोनाकाल के बाद काम सुचारू रूप से शुरू तो हुआ, लेकिन ईंधन की बढ़ती कीमतों ने और मुनाफा ना होने दिया.
नई दिल्ली: कैब और टैक्सी ड्राइवर्स की एसोसिएशन ने आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर पेट्रोल डीजल और सीएनजी की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. टैक्सी ड्राइवरों की पांच यूनियनों के अंतर्गत मौजूद तमाम ड्राइवरों के अनुसार कोरोनाकाल के बाद काम सुचारू रूप से शुरू तो हुआ, लेकिन ईंधन की बढ़ती कीमतों ने और मुनाफा ना होने दिया.
आपको बता दें कि फिलहाल दिल्ली में डीजल - 96.71, पेट्रोल - 105.45, CNG (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस)- 69.11 प्रति लीटर दाम चल रहा है जिससे खासे परेशान ड्राइवरों के सामने घर तक चलाने की मुसीबत आ रही है. करीब 17 दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में 10 रुपये से ज्यादा की तेजी आ चुकी है. इस बीच सिर्फ तीन दिन यानि 24 मार्च, 1 अप्रैल और 7 अप्रैल को ईंधन के दाम स्थिर थे. सीएनजी के दाम भी 2.50 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ाए गए थे. पिछले एक सप्ताह से भी कम समय में दिल्ली में सीएनजी के दाम 9.11 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ चुके हैं.
आइए जानें फिलहाल कितना है दिल्ली ट्रांसपोर्ट (transport. delhi. gov.in) द्वारा निर्धारित किया गया दाम और कितने की मांग ड्राइवरों द्वारा की गई है:-
दिल्ली सरकार द्वारा टैक्सी को लेकर 4 मई 2013 को दाम निर्धारित किए गए थे जिसके बाद अब तक इन दामों में कोई बदलाव नहीं आया है. फिलहाल 12.5 रुपए प्रति किलोमीटर (इकोनॉमी टैक्सी) टैक्सी चार्ज करती है सरकारी नियमों के मुताबिक. 'काली - पीली' टैक्सी 23 रुपए चार्ज करती है जो कि सबसे महंगा कैप है, चार्ज है.
क्या है मांग ?
- Ola /Uber जैसी App based कंपनियों का किराया सरकार द्वारा तय किया जाए.
- दिल्ली में पंजीकृत सभी टैक्सी/बसों से एमसीडी टोल टैक्स हटाया जाए.
- पेट्रोल डीजल सीएनजी की कीमतें कम की जाए.
- कम से कम 2 साल तक सभी तरह का टैक्स जैसे फिटनेस , road का टैक्स माफ किया जाए... इत्यादि
टैक्सी यूनियन के अध्यक्षों के मुताबिक उन्हें 18 से 23 रुपए प्रति किलोमीटर का चार्ज मिलना चाहिए जिसकी वो मांग कर रहे हैं. 23 रुपए मैक्सिमम कैपिंग सरकार द्वारा तय गई है जिसके अंतर्गत करीब 7 वर्ष पूर्व कैब ड्राइवर को दिया जा रहा था लेकिन अब केवल 6 से 8 रुपए प्रति किलोमीटर ही मिल रहा है.
ओला / ऊबर के साथ जुड़े ड्राइवरों के अनुसार उन्हें 6 रुपये प्रति किलोमीटर चार्ज किया जाता है जो कि ऑटो रिक्शा से भी कम है. उनका कहना है कि ये रेट बहुत कम है, इससे उनका खर्च भी नहीं निकल पाता है. अब गर्मियों के दौरान उन्हें AC भी चलाना पड़ रहा है, जिससे और घाटा हो रहा है.
इन पांच यूनियनों ने किया प्रदर्शन
इन पांच टैक्सी यूनियनों द्वारा आज प्रदर्शन किया गया था, जिनकी कुल ड्राइवरों की संख्या इनके द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 4 लाख के करीब है.
- सर्वोदय ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन (करीब 30 हजार ड्राइवर जुड़े हैं, दिल्ली एनसीआर के )
- टैक्सी यूनियन NCR ( करीब 50 हजार ड्राइवर जुड़े हैं)
- ऑल इंडिया मोटर टैक्सी ट्रांसपोर्ट यूनियन ( करीब 50 हजार गाड़ियां और ड्राइवर जुड़े हैं)
- एक्सपर्ट ड्राइवर सॉल्यूशन ( करीब 50 हजार ड्राइवर जुड़े हैं )
- भारतीय चालक एकता संघ ( करीब 25- 30 हजार ड्राइवर जुड़े हैं )
महिला ड्राइवरों के लिए दोहरी मुश्किल
पुरुषों की सत्ता वाली ड्राइवरी की नौकरी करने वाली महिला ड्राइवरों के लिए मुसीबत दोहरी है. महिला को ड्राइविंग में कमजोर मानने वाली मानसिकता से लड़कर जहां उन्हें नौकरी मिली वहीं अब घर चलाने के लिए पैसे नहीं मिल रहे.
निर्मला देवी ने बताया कि CNG, पेट्रोल का इतना किराया बढ़ता जा रहा है. हम कैसे अपने बच्चों को पालेंगे. कैसे किस्त देंगे. मेरे पांच बच्चे हैं, उनको स्कूल कैसे भेजूंगी. एक हाथ में हुनर है वो भी छीनना चाहते हैं. अपील है कि ओला ऊबर ने पहले जिस रेट पर हमे नौकरी दी थी वही दिया जाए.
एक अन्य महिला ड्राइवर ने बताया, “मैं घर में अकेली कमाने वाली हूं. 10 साल से गाड़ी चला रही हूं. जैसे CNG का दाम बढ़ा है, हमारा किराया भी बढ़ना चाहिए. मैं और मेरे दो बच्चे हैं. घर चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है मेरे लिए. सिलिंडर भी हजार तक पहुंच गया है.”
प्रदर्शन में 5 टैक्सी यूनियन जुड़ीं जिनके अंतर्गत करीब 4 लाख ड्राइवर काम करते हैं , मांग मनवाने को लेकर प्रदर्शन और लंबा चला तो दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से ठप हो सकती है. इसलिए जरुर है कि इनकी बात हम सरकार और आम आदमी के कानों तक पहुंचाएं
क्या कहना है यूनियनों का?
सुमित भारद्वाज, अध्यक्ष , एक्सपर्ट ड्राइवर सॉल्यूशन ने कहा, “ओला / ऊबर में गाड़ी चलाते हैं. उनके भरोसे हमने गाड़ी ली थी. 2010 में 10 रुपए प्रति किलोमीटर का किराया था, आज 6 रुपए प्रति किलोमीटर है. दुनिया की सैलरी बढ़ रही है ,हम पीछे जा रहे हैं. जब ये कंपनियां आई थीं तो 23-24 रुपए किलोमीटर का किराया देती थी आज 6 रुपए किलोमीटर का किराया दे रही हैं. AC पर हमारी cost 9 रुपए प्रति किलोमीटर आती है, कंपनी 6 रुपए प्रति किलोमीटर दे रही है.”
सुभाष बत्रा, टैक्सी यूनियन प्रेसिडेंट ने कहा, “जैसे कंपनी ओला / ऊबर हैं ऐसी कंपनियों की तर्ज पर अपना एप भारत सरकार क्यों नही लॉन्च करती ? दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से अपील है कि अपना एप लॉन्च करें.
ड्राइवरों का कहना है कि अगर सरकार ईंधन पर सब्सिडी नहीं देती है या किराया नहीं बढ़ाती है तो वह 18 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे. जिससे लाज़मी है कि टैक्सी सेवा का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों को यातायात में खासी परेशानी होगी.
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