नई दिल्लीः केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को कृषि क्षेत्र का निर्यात 2022 तक दोगुना कर 60 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लक्ष्य को सामने रखते हुये कृषि निर्यात नीति को मंजूरी दे दी. कैबिनेट ने कृषि निर्यात नीति को मंज़ूरी दी है जो पीएम के उस विज़न का हिस्सा है जिसमें 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य है. 2022 तक कृषि उत्पाद का निर्यात 60 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है. फिलहाल ये 37 बिलियन डॉलर है.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में मूल वेतन पर सरकार के योगदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने की मंजूरी दे दी है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुये कहा कि कृषि निर्यात नीति का मकसद क्षेत्र से चाय, काफी, चावल और दूसरी कमोडिटी के निर्यात को बढ़ावा देना है. इससे वैश्विक कृषि व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
कैबिनेट की बैठक के बाद सुरेश प्रभु ने कहा, ‘कृषि निर्यात नीति का लक्ष्य वर्ष 2022 तक देश का कृषि निर्यात दोगुना कर 60 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.’ इस नीति में कृषि निर्यात से जुड़े सभी पहलुओं पर गौर किया गया है. इसमें ढांचागत सुविधाओं का आधुनिकीकरण, उत्पादों का मानकीकरण, नियमन को बेहतर बनाना, बिना सोचे फैसले फैसलों पर अंकुश और शोध और विकास गतिविधियों पर ध्यान दिया गया है.
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि नीति में जैविक उत्पादों के निर्यात पर लगे सभी तरह के प्रतिबंधों को हटाने पर भी जोर दिया गया है. एक अधिकारी के मुताबिक इस नीति के क्रियान्वयन में अनुमानित 1400 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव होगा.
और भी कई अहम फैसले लिए गए
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जो अहम फैसले लिए गए हैं उनमें किसानों के लिए कृषि निर्यात नीति को मंजूरी देने के साथ जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी पास किया जा चुका है. वहीं राष्ट्रीय मिशन के तहत कैबिनेट में इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम पर 15 टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब, चार टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन रिसर्च हब के साथ साथा छह एप्लीकेशन इनोवेशन हब बनाने का फैसला किया गया है. इसके अलावा पंजाब में रावी नदी पर शाहपुरकिंडी बांध के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने पास कर दिया है.
जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक कानून में बदलाव को मंज़ूरी
इसके अलावा जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक कानून में बदलाव को मंज़ूरी भी दी गई है. अभी तक इसमें प्रावधान है कि इसके तहत बने ट्रस्ट में केवल एक ही पार्टी यानि कांग्रेस के अध्यक्ष ही सदस्य होते हैं. बदलाव के बाद लोकसभा में विपक्ष के या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता भी सदस्य हो सकेंगे. यानी ट्रस्ट में कांग्रेस का एकाधिकार ख़त्म होगा.
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