नई दिल्लीः भारतीय प्रबंध संस्थान यानी आईआईएम जल्द ही अपने छात्रों को डिग्री भी मुहैया करा सकेंगे. इससे विश्व स्तर पर आईआईएम से पढ़े लोगों के लिए संभावनाएं और बढ़ जाएगी. इससे फिलहाल करीब 10 हजार छात्रों को फायदा हो सकता है.


अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान यानी आईआईएम में दाखिला लेना जितना मुश्किल है, पढ़ाई पूरी करने के बाद भविष्य के बेहतर होने की संभावनाएं उतनी ही ज्यादा होती है. कुछ इसी तरह की स्थिति देश भर में स्थित बाकी 18 आईआईएम के लिए भी हैं. स्नातक की पढ़ाई करने के बाद इन संस्थानों में तालीम पूरी करने के बाद डिप्लोमा या फेलो प्रोगाम मिलता है. ये एमबीए और पीएचडी के बराबर तो माने जाते हैं, लेकिन विश्व स्तर पर समान मान्यता नहीं मिलती. लेकिन अब ये स्थिति ऐसी नहीं रहेगी. क्योंकि सरकार ने आईआईएम विधेयक संसद में पेश करने का फैसला किया है.


विधेयक के कानून बनने के बाद सबसे बड़ा बदलाव ये होगा कि आईआईएम डिप्लोमा की जगह डिग्री दे सकेंगे. इससे विश्व स्तर पर आईआईएम की साख और बढ़ेगी. इसका फायदा अभी दस हजार से भी ज्यादा छात्रों को मिल सकता है जो इस समय विभिन्न आईआईएम में अलग-अलग पाठयक्रम पूरा करने में जुटे हैं.


नए विधेयक के कानून बनने के बाद




  • आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रुप में दर्जा मिलेगा

  • तमाम आईआईएम को पूर्ण स्वायत्ता मिलेगी, साथ ही जवाबदेही भी तय की जाएगी

  • संस्थान का प्रबंधन बोर्ड के सुपुर्द होगा. बोर्ड चेयरपर्सन और डायरेक्टर चुनेगा जो संस्थान को चलाएंगे

  • बोर्ड में पुराने छात्रों के साथ-साथ विशेषज्ञों को जगह दी जाएगी

  • बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति या जनजातियों को नुमाइंदों को जगह देने के लिए विशेष प्रावधान

  • एक स्वतंत्र संस्था संस्थान के कार्यकलाप की समय-समय पर समीक्षा करेगी और उसके रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाएंगे

  • आईआईएम का सालाना रपट संसद में पेश होगा. साथ ही कैग को ऑडिट का अधिकार मिलेगा


फाइनेंशियल टाइम्स की ओर जारी होने वाली सालाना ग्लोबल एमबीए रैंकिंग में दुनिया के 100 चुनिंदा बी स्कूल में आईआईएम अहमदाबाद 24 वें स्थान पर है जबकि आईआईएम बैंगलुरु 62 वें स्थान पर. आईआईएम को छोड़ बाकी भारतीय बी स्कूल में हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस 29 वें स्थान पर है.


वैसे तो सरकार ये हमेशा से कहती रही है कि आईआईएम को स्वायत्तता मिली हुई है. लेकिन बीते वर्षों में कई ऐसे वाकये सामने आए जिसकी वजह से स्वायत्तता को लेकर सवाल उठे. फिलहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि विधेयक के कानून बनने के बाद ये बहस खत्म हो जाएगी.