नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों के बढ़ते बोझ को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को 30 से बढ़ाकर 33 करने की बुधवार को मंजूरी दे दी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट में भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) के अलावा 33 जज होंगे. मंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि जब जजों की संख्या बढ़ाने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जाएगी तो सीजेआई के अलावा जजों की संख्या बढ़कर 33 हो जाएगी. कोर्ट में जजों की कुल संख्या सीजेआई समेत 34 हो जाएगी. अभी शीर्ष न्यायालय में सीजेआई समेत 31 जज हैं.
सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) कानून, 1956 आखिरी बार 2009 में संशोधित किया गया था जब सीजेआई के अलावा जजों की संख्या 25 से बढ़ाकर 30 की गई. मंत्रिमंडल का फैसला तब आया है जब भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शीर्ष न्यायालय में जजों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा था. राज्यसभा में एक सवाल पर 11 जुलाई को विधि मंत्रालय के लिखित जवाब के अनुसार, शीर्ष अदालत में 59,331 मामले लंबित हैं. सीजेआई ने कहा कि जजों की कमी के कारण कानून के सवालों से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लेने के लिए आवश्यक संवैधानिक पीठों का गठन नहीं किया जा रहा.
सीजेआई ने लिखा, ''आपको याद होगा कि करीब तीन दशक पहले मामलों का शीघ्र निस्तारण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या 18 से बढ़ाकर 26 की गई और फिर एक बार 2009 में दो दशक बाद सीजेआई समेत जजों की संख्या 31 कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) कानून, 1956 में मूल रूप से जजों की संख्या 10 (सीजेआई के अलावा) तय की गई.
सुप्रीम कोर्ट (जजों की संख्या) संशोधन कानून, 1960 द्वारा यह संख्या बढ़ाकर 13 कर दी गई और 1977 में 17 कर दी गई. हालांकि, मंत्रिमंडल ने 1979 के अंत तक सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या चीफ जस्टिस के अलावा 15 तक सीमित कर दी. लेकिन भारत के चीफ जस्टिस के अनुरोध पर यह सीमा हटा दी गई. साल 1986 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की संख्या सीजेआई के अलावा बढ़ाकर 25 कर दी गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट संशोधन कानून, 2009 में यह संख्या बढ़ाकर 30 कर दी गई.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराने में रूचि नहीं रखती बीजेपी- शिवराज चौहान
यह भी देखें