मुंबई: महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद अब मंत्रियों को काम करने के लिए ऑफिस आंवटित किए जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. सरकार के इन मंत्रियों के ऑफिस राज्य मंत्रालय के परिसर में बने हुए हैं. लेकिन मंत्रालय के छठी मंजिल पर एक ऑफिस ऐसा भी है जिसमें कोई भी मंत्री बैठने को राजी नहीं है. इस ऑफिस से एक अंधविश्वास जुड़ा है जिसकी वजह से कोई भी इस ऑफिस में बैठना नहीं चाहता है.


मंत्रालय की छठी मंजिल पर स्थित इस ऑफिस को केबिन नंबर 602 के नाम से जाना जाता है. इस केबिन से जुड़े किस्से कहानियों की इन दिनों खूब चर्चा है. हालांकि इस ऑफिस में किसी चीज की कोई कमी नहीं है. एक ऑफिस में जो सारी सुविधाए और संसाधन होने चाहिए वे सभी इस ऑफिस में उपलब्ध हैं. इस ऑफिस के बारे में यह धारणा है कि इस ऑफिस में जो भी मंत्री बैठता है वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है.


मंत्रालय का ये ऑफिस बेहद हाईटेक है. इस ऑफिस में एक हॉल, कॉन्फ्रेंस रूम, दो बड़े बड़े केबिन और स्टाफ के बैठने की पूरी व्यवस्था है. बावजूद इसके कोई भी मंत्री यहां बैठने को तैयार नहीं है. हर मंत्री इस ऑफिस से बचना चाहता है. उनके खाते में यह आफिस न आ जाए इसके लिए कुछ मंत्री तो अभी से मंत्रालय के प्रशासनिक विभाग के उच्चाधिकारियों से जुगाड़ बैठाने में जुट गए हैं.


इस ऑफिस के बारे में कहा जाता है कि एक समय में इस ऑफिस को महाराष्ट्र सरकार का सबसे मजबूत केंद्र माना जाता था. यहां पर मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और शासन के सीनियर अधिकारी बैठा करते थे. लेकिन आज हालात ऐसे नहीं हैं. कोई भी इस ऑफिस में नहीं बैठना चाहता है. हालांकि इस बार भी सभी ऑफिसेज के साथ इस ऑफिस को भी व्यवस्थित किया है. नए मंत्री के लिए यह ऑफिस एकदम तैयार है.


केबिन नंबर 602 से जुड़ीं बातें, जिनकी चर्चा है


जानकरी के मुताबिक इस ऑफिस को 2014 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री एकनाथ खड़से को दिया गया. वे सरकार में कृषि, राजस्व और अल्पसंख्यक कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालते थे. कार्यकाल के दो साल बाद ही खड़से पर भ्रष्टाचार का आरोप लग गया और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद यह ऑफिस कई दिनों तक खाली रहा है. उसके बाद नए कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर को इस ऑफिस में बैठने के लिए कहा गया. दो साल बाद इनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई.


चुनाव भी हारे सरकार भी नहीं बनी


साल 2019 में बीजेपी नेता अनिल बोंडे को इस मंत्रालय का प्रभारी बनाया गया. लेकिन वे इस साल चुनाव हार गए. राज्य में बीजेपी की सरकार भी नहीं बनी. इसके बाद तो इस ऑफिस को लेकर अफवाहों ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया. हालात ये है कि अब कोई भी इस ऑफिस में बैठने को तैयार नहीं है. अभी तक इसका आवंटन भी नहीं किया गया है.