नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने के फैसले पर मुहर लगा दी है. इसके साथ ही 2021 में होने वाली जनगणना को भी मंजूरी दे दी गई है. सूत्रों के मुताबिक इन दोनों कामों के लिए कैबिनेट की ओर से बजट भी जारी कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक एनपीआर बनाने का काम अगले अप्रैल से सितंबर के बीच में किया जाएगा. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीकरण को अपडेट करने के लिए 8500 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है.
वैसे तो 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी लेकिन एनआरसी और नागरिकता कानून पर जारी विवाद के बीच एनपीआर को अपडेट करने का फैसला नई बहस छेड़ सकता है. आपको बता दें कि बंगाल और केरल सरकार पहले ही अपने यहां एनपीआर के लिए जारी प्रक्रिया को स्थगित कर चुकी है.
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर से सरकार भारत में रह रहे 5 साल से बड़े हर निवासी की जानकारी जुटाएगी. सवाल ये भी है कि जब देश एक है तो इतने तरह की पहचान की जरूरत क्यों है. आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, राशन कार्ड, बैंक का पासबुक, बिजली का बिल, रजिस्ट्री का पेपर, पानी का बिल, गैस का कनेक्शन के रहते आखिरी NPR की जरूरत क्यों है?
आखिर ये NPR क्या है और ये क्यों जरूरी है?
NPR यानि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर, वो रजिस्टर जिसमें देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पूरी जानकारी होगी. एक ऐसा रजिस्टर जिसमें देश के निवासियों की पहचान से जुड़ी हर तरह की सूचना होगी. गृह मंत्रालय के तहत आने वाली ऑफिस ऑफ द रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर की वेबसाइट के मुताबिक यह देश में रहने वाले लोगों की जानकारी का एक रजिस्टर होगा.
इसके लिए लोगों से नाम, पता, पेशा, शिक्षा जैसी 15 जानकारियां मांगी जाएंगी. लोगों की फोटो, फिंगर प्रिंट, रेटिना की भी जानकारी ली जाएगी. 5 साल से अधिक उम्र के निवासियों से जुड़ी हर सूचना होगी. सरकार की अधिसूचना के मुताबिक इस बार भी NPR के लिए आंकड़े जुटाने का काम 2020 में 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक किया जाएगा. इन सबके अलावा NPR यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नागरिकता की जो जानकारी दी जाएगी वो स्वघोषित यानी खुद से बताई गई होगी, जो व्यक्ति की नागरिकता का पुख्ता सबूत नहीं होगी.
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की जरूरत क्या है?
सेंसस ऑफ इंडिया की वेबसाइट के होमपेज पर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स का लिंक है जिसके अंदर नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का जिक्र है. इसके मुताबिक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का उद्देश्य देश में रहने वाले प्रत्येक शख्स की पहचान का डेटाबेस तैयार करना है. इसके लिए लोगों की भौगोलिक और शरीर से जुड़ी बाहरी और भीतरी जानकारी रखी जाएगी.
NPR से फायदा क्या होगा ?
देश के हर निवासी की जानकारी और पहचान सरकार के पास होगी. इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच सकेगा. देश की सुरक्षा के लिए कारगार कदम उठाए जा सकेंगे. आपको बता दें कि साल 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी. माना जा रहा है कि नए नागरिकता कानून के बाद अब एनपीआर पर भी विवाद हो सकता है.