'ममता बनर्जी ने महिलाओं को न्याय दिलाने में की अनदेखी', अपराजिता बिल पारित होने पर बोले किरेन रिजिजू
Kiren Rijiju Letter to CM Mamata: किरेन रिजिजू ने कहा कि 2018 में संसद ने एक कानून पारित किया था जिसमें पॉक्सो के तहत सुनवाई में तेजी लाने के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना के प्रावधान थे.
Kiren Rijiju Letter to CM Mamata Banerjee: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार (4 सितंबर) को कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले से निपटने के तरीके को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की है. अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर शेयर की गई एक चिट्ठी में, तत्कालीन कानून मंत्री रिजिजू ने 2021 का एक पत्र साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि संसद ने बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से निपटने के लिए 2018 में पहले ही एक कड़ा कानून पारित कर दिया था.
रिजिजू की यह पोस्ट पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 को सर्वसम्मति से पारित किए जाने के एक दिन बाद आई है.
सीएम ने महिलाओं की बचाने के कर्तव्य की अनदेखी की: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू
उन्होंने एक्स पर सीएम बनर्जी को संबोधित पत्र की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "मुझे दुख है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अपने सबसे पवित्र कर्तव्य की अनदेखी की. 2021 का यह पत्र इसे स्पष्ट रूप से दर्शाता है. 2018 में, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से निपटने के लिए संसद द्वारा एक कड़ा कानून पारित किया गया था. राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी चाहिए."
This is an extremely serious matter. Please don't make it political issue. Very strong laws are necessary but strong actions are more important. When the letter was written, media had carried this news extensively, but West Bengal Govt failed to act! https://t.co/dtmidg4pP6
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 4, 2024
रिजिजू ने कहा कि 2018 में संसद ने एक कानून पारित किया था जिसमें यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के तहत सुनवाई में तेजी लाने के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की स्थापना के प्रावधान शामिल थे.
चिट्ठी में लिखा गया, "न्याय विभाग आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अनुसरण में एफटीएससी की इस केंद्र प्रायोजित योजना को लागू कर रहा है. इसके अलावा, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, उन जिलों में एक विशेष पॉक्सो (ईपोक्सो) न्यायालय स्थापित करने की आवश्यकता थी, जहां पॉक्सो से संबंधित मामलों की संख्या 100 से अधिक थी."
'बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के 28559 मामले लंबित'
केंद्रीय मंत्री की चिट्ठी में मई 2021 तक पश्चिम बंगाल में लंबित बलात्कार के मामलों का भी जिक्र किया गया है और राज्य सरकार से इस पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया.
चिट्ठी में लिखा गया है, "उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मई 2021 तक पश्चिम बंगाल राज्य में बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के 28559 मामले लंबित हैं. निर्धारित FTSC और ePOCSO न्यायालयों के शीघ्र संचालन और मजबूत कामकाज की आवश्यकता पर विशेष जोर देने की आवश्यकता नहीं है. अगर आप अपने स्तर पर इस मामले की समीक्षा कर सकते हैं ताकि राज्य सरकार की सहमति में तेजी आए और न्याय विभाग योजना की शर्तों के अनुसार धन जारी करने पर विचार कर सके."
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