श्रीनगर: लेह-लद्दाख को हिमाचल प्रदेश से जोड़ने के बाद अब श्रीनगर और करगिल के जरिए जोड़ने के लिए ज़ोजिला-टनल बनाने का काम गुरूवार से शुरू हो रहा है. सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में ज़ोजिला-दर्रे के पहाड़ पर ब्लास्ट कर इस सामरिक महत्व की सुरंग के निर्माण-कार्य का शुभारंभ किया जाएगा.
नितिन गडकरी ने खुद इस बारे में ट्वीटर पर जानकारी साझा की है. टनल का निर्माण-कार्य ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से पिछले पांच महीनों से टकराव चल रहा है. करीब साढ़े 11 हजार फीट की ऊंचाई पर ज़ोजिला-दर्रा दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक है और साल के छह-सात महीने भारी बर्फबारी के कारण बंद रहता है. इसके चलते करगिल और लेह-लद्दाख के लिए श्रीनगर, सोनमर्ग और बालटाल से हाईवे नंबर-1 पर आवाजाही बंद हो जाती है.
राजमार्ग बंद होने की वजह से स्थानीय लोगों के साथ साथ सेना की मूवमेंट भी प्रभावित होती है. अगर ये टनल बन जाती है तो कश्मीर के जरिए करगिल और लेह-लद्दाख के लिए आवाजाही 12 महीने खुली रहेगी. इसके साथ ही दर्रे को पार करने को लेकर जो तीन घंटे का समय लगता है, वो भी इस टनल के बनने से मात्र 15 मिनट में पूरी हो जाएगी. जानकारी के मुताबिक, करीब 14 किलोमीटर लंबी इस टनल को बनाने में करीब साढ़े छह हजार करोड़ (6808 करोड़) की लागत आएगी. इसके अलावा टनल के साथ ही एक 18 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड भी इस प्रोजेक्ट में बनाई जाएगी.
आपको बता दें कि वर्ष 2005 में इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग शुरू हुई थी और इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट वर्ष 2013 में बीआरओ यानि बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने तैयार की थी. वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. अब इस प्रोजेक्ट को बनाने की जिम्मेदारी एनएचआईडीसीएल यानि नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के कंधों पर है और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के जरिए इस टनल को बनाने का काम पूरा किया जाएगा.
आपको बता दें कि अटल-टनल की तरह ही ज़ोजिला-टनल में भी सुरक्षा और बचाव के कड़े इंतजाम किए जाएंगे. टनल में एक ट्यूब होगी जिसमें दोनों तरफ का ट्रैफिक आ-जा सकेगा. बड़ी संख्या में सीसीटीवी कैमरों से टनल के भीतर नजर रखी जाएगी. क्योंकि ये पूरा इलाका बर्फीले तूफान से ग्रस्त रहता है इसलिए टनल को एवलांच-प्रोन बनाया जाएगा.
अगर ज़ोजिला टनल बनकर तय समय में पूरी हो जाती है तो पूरा लेह-लद्दाख, करगिल-द्रास और सियाचिन सेक्टर 12 महीने देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा रहेगा. इससे सड़क के रास्ते सेना की मूवमेंट बेहद आसान हो जाएगी. क्योंकि इसी महीने की 3 तारीख को हिमाचल प्रदेश के जरिए लेह-लद्दाख को जोड़ने वाली अटल-टनल (रोहतांग टनल) भी बनकर तैयार हो चुकी है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनका उदघाटन किया था और अब इसपर आवाजाही शुरू हो गई है.