Dwarka Expressway: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने नकार दिया है. मंत्रालय ने कहा है कि कैग की रिपोर्ट में कई तकनीकी खामियां हैं इसके अलावा उसने इसमें अन्य खर्चों की लागत को एड नहीं किया है. ऐसे में प्रोजेक्ट की लागत को अधिक बताना गलत है क्योंकि हमने तो पूरे प्रोजेक्ट में 12 प्रतिशत की बचत की है.


खबरों के मुताबिक, कैग ने अपने लेखा परीक्षण में यह पाया है कि एनएचएआई के द्वारका एक्सप्रेस के हरियाणा वाले हिस्से को ‘एलिवेटेड’ मार्ग के रूप में बनाने के फैसले ने इसकी निर्माण लागत को बढ़ाकर 251 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर कर दिया जबकि पुराना अनुमान 18.2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर लागत का था.


क्या कह रहे हैं जिम्मेदार?
भारतमाला परियोजना के तहत राजमार्गों के विकास के पहले चरण के क्रियान्वयन पर आई कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने नए राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है. विपक्षी दल इस रिपोर्ट के आधार पर परियोजना के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. हालांकि सड़क परिवहन मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे के सभी चार खंडों के लिए 206.39 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की औसत लागत वाली निविदा जारी की गई थी. लेकिन ठेकों का अंतिम आवंटन 181.94 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की कहीं कम दर पर किया गया था.


क्या कह रहे हैं सड़क मंत्रालय के सूत्र?
सड़क मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि कैग ने राष्ट्रीय गलियारा सक्षमता कार्यक्रम के तहत निर्माण पर आई 91,000 करोड़ रुपये की कुल लागत को परियोजना के तहत विकसित होने वाले 5,000 किलोमीटर मार्ग से विभाजित कर अपना आकलन पेश किया है. खुद कैग ने भी माना है कि 18.2 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की अनुमानित लागत में परियोजना के तहत विकसित किए जाने वाले फ्लाईओवर, रिंग रोड की लागत मानकों को शामिल नहीं किया गया है. जबकि इस एक्सप्रेसवे के विकास में सड़कों के साथ अंडरपास, सुरंगों और अन्य हिस्सों का भी निर्माण हुआ है.


भारतमाला परियोजना के पहले चरण में 5,000 किलोमीटर लंबे राजमार्गों के लिए 91,000 करोड़ रुपये की लागत को सड़क परिवहन मंत्रालय ने 10 अगस्त, 2016 को अंतिम रूप दिया था. मंत्रालय के मुताबिक, यह एलिवेटेड मार्ग के रूप में विकसित होने वाली देश की आठ लेन वाली पहली सड़क है. सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर वे अपनी टिप्पणियों से कैग को भी अवगत कराने की कोशिश करेंगे. लोक लेखा समिति में इस रिपोर्ट पर चर्चा होने के समय मंत्रालय अपनी राय रखेगा.


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