CAG Report: CAG की DRDO को फटकार, '178 में से 119 प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं किए गए'
CAG Report: सीएजी ने डीआरडीओ को प्रोजेक्ट में समय का पालन नहीं करने के लिए फटकार लगाई. इसके साथ ही सेना के अंगों से बेहतर तालमेल नहीं बिठाने के लिए भी खरी-खरी सुनाई.

CAG Report: सीएजी ने डीआरडीओ को अपने प्रोजेक्ट्स में देरी करने और सेनाओं से तालमेल नहीं रखने के लिए आड़े हाथों लिया है. एलओसी पर चीन से तनातनी चल रही है, ऐसे समय में देश की सेनाओं के लिए हथियार, टैंक, तोप, मिसाइल और लड़ाकू विमान तैयार करने वाली सरकारी संस्था, डीआरडीओ की सीएजी ने जमकर फटकार लगाई है.
कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) ने गुरुवार ( 22 दिसंबर) को बताया कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की परफॉर्मेंस रिपोर्ट को संसद के पटल पर रखा गया है. ये रिपोर्ट डीआरडीओ की मिशन-मोड प्रोजेक्ट के आकलन के लिए है. मिशन मोड प्रोजेक्ट्स वे होते हैं जो सेनाओं की जरूरतों के आधार पर एक तय समय सीमा के तहत पूरे किए जाते हैं.
178 प्रोजेक्ट में से 119 में पिछड़े
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, डीआरडीओ से शुरू किए गए 178 प्रोजेक्ट में से 119 में समय का पालन नहीं हुआ. इसके अलावा 49 मामलों में विलंब मूल समय सीमा के 100 प्रतिशत से अधिक थी. जबकि कुल विलंब 16-500 प्रतिशत के आसपास था. कई अवसरों पर समय विस्तार की मांग की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि डीआरडीओ ने प्रोजेक्ट के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए समय विस्तार मांगने की बजाय उन्हें सफल मानकर बंद कर दिया. डीआरडीओ ने 516.61 करोड़ के 15 प्रोजेक्ट को शुरू किया ताकि पहले बंद किए गए प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जा सके.
सेना के तीनों अंगों से तालमेल नहीं बिठाने के लिए लगाई फटकार
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2010 से 2019 के दौरान डीआरडीओ की सफल घोषित की गई 86 परियोजनाओं में से 20 में 1,074.67 करोड़ की लागत शामिल थी, लेकिन इसमें एक या अधिक प्रमुख उद्देश्य या पैरामीटर प्राप्त ही नहीं किए गए थे. सीएजी ने डीआरडीओ को यूजर्स यानि सेना के तीनों अंगों से बेहतर तालमेल नहीं बिठाने के लिए भी फटकार लगाई, क्योंकि इससे डीआरडीओ के प्रोजेक्ट्स (हथियारों और सैन्य साजो सामान) का उत्पादन समय से नहीं हो पाता है. साथ ही प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है.
डीआरडीओ सशस्त्र सेनाओं के लिए हथियार, लड़ाकू विमान और दूसरे सैन्य उपकरण तैयार करती है. इन हथियार और सैन्य साजो सामान के बल्क प्रोडक्शन के लिए किसी सरकारी या फिर प्राइवेट कंपनी को सौंप दिया जाता है. कई बार डीआरडीओ की लैब भी इन सैन्य उपकरणों का उत्पादन करती हैं.
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