चुनाव आयोग के बाद अब 'फ्रीबीज' पर CAG का कड़ा रुख, राज्यों की आर्थिक स्थिति को लेकर जताई चिंता
CAG राज्यों के बजट में सब्सिडी और अन्य खर्च से संबंधित मुद्दों को उजागर करता रहा है. वहीं अब शीर्ष ऑडिट निकाय अगले छह सालों में राज्यों की देनदारियों को भी देख रहा है.
CAG On Freebies: देश में 'रेवड़ी' कल्चर को लेकर बहस लगातार जारी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और चुनाव आयोग के बाद अब सीएजी (CAG) भी 'फ्रीबीज' को लेकर जल्द कोई फैसला ले सकता है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीएजी इस बात का पता लगा रहा है कि ऐसे पैरामीटर कैसे तैयार किए जाएं जो सब्सिडी, ऑफ-बजट उधार, छूट और राइट-ऑफ के बोझ को रेड फ्लैग दिखा सकें, क्योंकि यह सब राज्यों की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां पैदा कर सकते हैं.
सूत्रों ने कहा, इस सप्ताह की शुरुआत में सीएजी के ऑडिट एडवाइजरी बोर्ड (AAB) की बैठक के दौरान राज्यों की "वित्तीय स्थिरता" का मुद्दा सामने आया था. सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू की अध्यक्षता वाला बोर्ड, "ऑडिट, कवरेज, दायरे और ऑडिट की प्राथमिकता सहित" ऑडिट से संबंधित मामलों पर निकाय को "सुझाव" प्रदान करता है.
चुनाव आयोग ने राजनीतिकों दलों को भेजा प्रस्ताव
CAG का सुझाव तब आया है जब चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से अपने वादों और उनके वित्तीय प्रभाव को पूरा करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के तरीकों और साधनों को बताने के लिए कहा था. इसके लिए चुनाव आयोग ने एक प्रोफार्मा निर्धारित किया. उधर, सुप्रीम कोर्ट भी फ्रीबीज वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
शीर्ष ऑडिट निकाय अगले छह सालों में राज्यों की देनदारियों को भी देख रहा है. एक सूत्र ने कहा, "हमने देखा है कि अधिकांश राज्यों में एक वास्तविक मुद्दा होगा – पुनर्भुगतान. उनके बजट का आधा हिस्सा कई जगहों पर केवल (लोन) चुकाने में चला जाएगा. यह (फ्रीबीज) टिकाऊ नहीं है."
बता दें कि सीएजी राज्यों के बजट में सब्सिडी और अन्य खर्च से संबंधित मुद्दों को उजागर करता रहा है, लेकिन प्रस्तावित तंत्र में यह ऑफ-बजट उधार, छूट और राइट-ऑफ पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है. सूत्रों ने कहा कि ऑडिट बॉडी ने "लोन, उधार, सब्सिडी - चाहे वे मुफ्त हों या नहीं - गारंटी, और उनकी स्थिरता" को संयोजित किया है.
'उससे आपका वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा जाएगा'
सूत्र ने कहा, "हम चालू वर्ष में बहुत सख्ती से आगे बढ़ रहे हैं...हम कह रहे हैं कि यह टिकाऊ नहीं है. आप जो कुछ भी कर रहे हैं उससे आपका वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा जाएगा. आप इसे बनाए नहीं रख पाएंगे और राज्य को समस्या होगी."
बैठक में प्रस्ताव पर मुफ्त उपहारों की श्रेणी पर विचार करने का भी सुझाव दिया गया. सूत्र ने कहा, "राज्य टीवी, लैपटॉप, साइकिल, ग्राइंडर, मिक्सर जैसी चीजें वितरित कर रहे हैं. ये ऐसी चीजें हैं जो सब्सिडी में नहीं दिखती हैं. साथ ही राज्यों के वित्तीय संसाधनों पर भी चर्चा हुई."
फ्रीबीज को रेड फ्लैग दिखाएगा सीएजी
यह पूछे जाने पर कि CAG के पास क्या विकल्प हैं. सूत्र ने कहा, "हमारी योजना इसे बंद करने की है. हम समय-समय पर अपनी टिप्पणियों को मजबूत कर रहे हैं और इस ऑडिट एडवाइजरी बोर्ड के सबमिशन के बाद देखेंगे कि हम और क्या कर सकते हैं." वहीं सूत्र ने बताया, "वित्त वर्ष 2022-23 के खातों का करीब 80 फीसदी काम हो चुका है. तो हम देखेंगे कि हम इस स्तर पर क्या कर सकते हैं."
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