कोलकाता: पश्चिम बंगाल स्थित शांतिनिकेतन के विश्व-भारती यूनिवर्सिटी में पिछले 15 दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. यह प्रदर्शन 23 अगस्त से शुरू हुई जब तीन छात्रों को यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया. इस निष्कासन के खिलाफ छात्रों ने कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील की जिसके बाद तीनों को कक्षाओं में फिर से शामिल होने की अनुमति दे दी गई.
जस्टिस राजशेखरन मंथा ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि तीन साल के छात्रों को बाहर निकालना बहुत ज्यादा कठोर कदम है. सुनवाई के दौरान जस्टिस मंथा ने कहा कि हाईकोर्ट छात्रों को कक्षाओं में जाने की मंजूरी देती है.
इसके अलावा हाईकोर्ट ने एक अन्य आदेश में कहा कि संस्थान के 50 मीटर के भीतर कोई भी प्रदर्शन न करें. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस को निर्देश दिया कि कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के आवास के बाहर जारी सभी प्रदर्शनों को वहां से हटाएं.
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नॉर्मल हालात बहाल करें. हाईकोर्ट की ओर से आदेश मिलने के बाद छात्रों ने अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया.
निष्कासित छात्र सोमनाथ सॉ ने बताया, ''कोर्ट के आदेश से हम खुश है. कुलपति की अलोकतांत्रिक कार्यों के विरोध में हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.'' उन्होंने कहा, ''हमारा करियर बचाने के लिए न्यायपालिका का आभआर.''
बता दें कि कुलपति के आधिकारिक आवास के पास धरने पर बैठे विश्वभारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी संघ के पदाधिकारी सुदीप्तो भट्टाचार्य ने भी अपना अनशन खत्म कर दिया है. उन्होंने संगीत विभाग के एक छात्र के साथ अपना प्रदर्शन खत्म किया.
क्या है मामला?
बता दें कि अक्टूबर 2018 में कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने जब से कार्यभार संभाला है तभी से शिक्षकों और छात्रों दोनों की ओर से विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. फैकल्टी मेंबर्स लगातार सस्पेंशन को लेकर सवाल पूछ रहे हैं.
यूनिवर्सिटी में नवंबर 2019 से 22 स्टाफ मेंबर्स जिसमें 11 टीचिंग स्टाफ और 11 नॉन टीचिंग स्टाफ को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा 150 से अधिक लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.