कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया कि त्योहारी सीजन के दौरान राज्य के सभी इलाकों में शांति बनी रहे. अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि लोग बिना किसी व्यवधान के, पूरे हर्षोल्लास के साथ, त्योहारों का जश्न मनाएं.


मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि काली पूजा के एक दिन बाद कोलकाता के राजाबाजार और नारकेलडांगा में भीड़ ने कुछ वर्गों के लोगों पर हमला किया, जिससे इलाके में तनाव फैल गया.


राज्य सरकार की तरफ से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने दावा किया कि अलग-अलग समुदाय के लोगों के आपस में टकराव संबंधी आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. दत्ता ने दलील दी कि दो लोगों के बीच झड़प के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई और उसके फलस्वरूप हुई हिंसा में कुछ पुलिस अधिकारी भी घायल हो गए. उन्होंने बताया कि घटना के सिलसिले में कम से कम छह प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में 18 नवंबर तक हलफनामे के रूप में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. उसने याचिकाकर्ता से 21 नवंबर तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा, जब मामले को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. खंडपीठ ने निर्देश दिया कि इस बीच, राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने की कोशिश करनी चाहिए कि त्योहारी मौसम में सभी इलाकों में, खासकर याचिका में उल्लिखित क्षेत्रों में शांति बनी रहे.


खंडपीठ ने कहा कि यह त्योहारी मौसम है और छठ पूजा की शुरुआत हो गई है, जिसके बाद कोलकाता के पड़ोसी हुगली जिले के चंदननगर में जगद्धात्री पूजा होगी. उसने कहा, 'यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि लोग बिना किसी व्यवधान के पूरे हर्षोल्लास के साथ त्योहार मनाएं.' याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कुछ जगहों पर दुर्गा पूजा पंडालों और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं पर हमले किए गए. इसमें दावा किया गया है कि ये हमले भारत की सुरक्षा और अखंडता में खलल डालने की साजिश के तहत किए गए.


याचिका में कथित घटना की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपने का अनुरोध किया गया है. शुभेंदु अधिकारी की तरफ से पेश वकील बिलवदल भट्टाचार्य ने खंडपीठ को बताया कि पुलिस ने कहा है कि नारकेलडांगा की घटना के बारे में सोशल मीडिया पर झूठी कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था और क्षेत्र में काली प्रतिमा विसर्जन जुलूस पर कोई हमला नहीं हुआ, जैसा कि आरोप लगाया गया है. भट्टाचार्य ने बताया कि पुलिस ने कहा कि क्षेत्र में दो लोगों के बीच बाइक की पार्किंग को लेकर हुए विवाद के कारण तनाव फैला था.


यह भी पढ़ें:-
अब 25 लाख रुपये दें... कैसे रातोंरात गिरा दिया घर? सड़क चौड़ी करने पर अधिकारियों को क्यों पड़ी सुप्रीम कोर्ट से फटकार