Calcutta High Court Virdict: कलकत्ता हाई कोर्ट में ट्रांसजेंडर समुदाय के आरक्षण को लेकर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए रोजगार में समान अवसर की नीति अपनाई है, लेकिन अभी तक उनके लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य के सभी सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर समुदाय को एक फीसदी आरक्षण देने का निर्देश दिया है.
ट्रांसजेंडर के लिए एक फीसदी आरक्षण का निर्देश
जस्टिस राजशेखर मंथा ने शुक्रवार (14 जून) को पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव को सभी सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. कलकत्ता हाई कोर्ट में एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ने याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2014 और टीईटी 2022 में भी सफलता प्राप्त की, लेकिन उन्हें काउंसलिंग या साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.
जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दोहराया
जस्टिस राजशेखर ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि उन्हें (ट्रांसजेंडर) सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े नागरिकों के रूप में मानने के लिए कदम उठाएं. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन और सरकारी नौकरियों के मामलों में सभी प्रकार के आरक्षण का विस्तार करने का आदेश दिया था."
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने हाई कोर्ट को बताया कि राज्य के महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभाग ने 30 नवंबर, 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के रोजगार के समान अवसर के हकदार हैं.
इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना से यह स्पष्ट है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए रोजगार में एक समान नीति अपनाई गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य में अभी तक आरक्षण लागू नहीं किया गया है.
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