Calcutta High Court: कलकत्ता हाईकोर्ट ने शादीशुदा लोगों को लेकर सोमवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप में आने से पहले अपनी शादी और बच्चों के बारे में अपने लिव-इन पार्टनर को बता चुका है, तो इसे धोखा नहीं कहा जाएगा."


कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही लोअर कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कोर्ट ने एक होटल एग्जीक्यूटिव पर अपनी लिव-इन पार्टनर को धोखा देने के आरोप में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. आरोपी शख्स ने अपनी 11 महीने की लिव-इन पार्टनर के साथ शादी से इनकार करते हुए ब्रेकअप कर लिया था. होटल एग्जीक्यूटिव ने लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 


'धोखाधड़ी' का मतलब...


जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि आईपीसी की धारा 415 के अनुसार, 'धोखाधड़ी' का मतलब किसी को बेईमानी या धोखाधड़ी से जानबूझकर कर फुसलाना है. जस्टिस रॉय ने कहा कि ऐसा सोची-समझी साजिश के तहत किया जाता है. इस मामले में धोखाधड़ी साबित करने के लिए यह साबित करना जरूरी है कि आरोपी ने महिला से शादी का झूठा वादा किया था. 


2015 का मामला


यह मामला साल 2015 का है. महिला ने कोलकाता के प्रगति मैदान पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी. अपनी शिकायत में महिला ने पुलिस को बताया था कि फरवरी 2014 में वो एक होटल की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गई थी, यहां महिला की मुलाकात होटल के मैनेजर से हुई. इसके बाद होटल मैनेजर ने महिला के साथ फ्लर्ट किया और उसका नंबर मांगा, जो उसने दे दिया. 


पहली मुलाकात में महिला को सच बताया 


हालांकि, पहली मुलाकात में आरोपी शख्स ने महिला को अपनी टूटी हुई शादी के बारे में बताया था. मैनेजर ने महिला से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए कहा, तो महिला ने उसे स्वीकार कर लिया. महिला के माता-पिता को भी इस रिश्ते के बारे में पता था और वे चाहते थे कि उनकी बेटी जल्द शादी करके अपना घर बसा ले. 


पत्नी से तलाक नहीं लेने की बात


एक साल बाद मैनेजर ने अपना इरादा बदला और अपनी पत्नी से मिलने मुंबई चला गया गया. मुबई से कोलकाता लौटने के बाद शख्स ने अपनी महिला पार्टनर को बताया कि वह अब अपनी पत्नी से तलाक नहीं लेगा. ये बात सुनकर महिला ने ठगा महसूस किया और उसने पुलिस में धोखाधड़ी और रेप की एफआईआर दर्ज करवा दी.


इसी मामले में अलीपुर कोर्ट ने आरोपी शख्स के उपर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इसमें से 8 लाख लिव-इन पार्टनर और 2 लाख रुपये राजकोष में जमा करवाने का आदेश दिया था. 


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