Fake Caste Certificate Case: पश्चिम बंगाल में फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में सीबीआई जांच को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट के दो जजों में आपस में टकराव हो गया. इस बीच मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. 


इसको लेकर शनिवार (27 जनवरी) को चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में 5 जजों की पीठ सुनवाई करेगी. लाइव लॉ के मुताबिक, बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस हैं. 


दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने हाल ही में आदेश दिया था कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए मेडिकल कॉलेजों में एडिमशन लेने के मामले में बंगाल पुलिस जांच को लेकर सीबीआई को कागज सौंप दें. हाई कोर्ट के दूसरे जज सोमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगा दी थी.  


जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने क्या कहा?
इंडिया टुडे के मुताबिक, जज सोमेन सेन को लेकर जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) का नाम लिए बिना कहा कि वो (जज सोमेन सेन) किसी राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. बंगाल के किसी नेता के लिए दूसरे जजों को डरा रहे हैं. 


मामला क्या है?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस सोमेन सेन की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंगाल सरकार के मौखिक अनुरोध पर जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के आदेश पर स्थगनादेश दिया था. साथ ही उन्होंने सीबीआई (CBI) की दर्ज की गई एक एफआईआर को भी गुरुवार (25 जनवरी) को निरस्त कर दिया. 


जस्टिस सोमेन सेन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राज्य एजेंसियों की ओर से जारी जांच को सीबीआई (CBI) को स्थानांतरित करने की हाई कोर्ट की असाधारण शक्ति का इस्तेमाल सावधानी से और असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए. 


इनपुट भाषा से भी.


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