West Bengal News: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को उबर (Uber) और ओला (Ola) जैसे कैब (Cab) एग्रीगेटर्स के संचालन को विनियमित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अधिसूचित दिशानिर्देशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कैब एग्रीगेटर्स द्वारा कीमतों में वृद्धि और ड्राइवरों द्वारा राइड कैंसिल करने पर ध्यान दिया और ये माना कि ड्राइवरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के दिशानिर्देश अव्यावहारिक नहीं हैं. 


कोर्ट उबर इंडिया द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राज्य सरकार द्वारा दिशानिर्देशों की अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि राज्य ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. उबर इंडिया ने तर्क दिया कि दिशानिर्देशों के कई प्रावधान अत्यधिक कठोर, दमनकारी, कठिन, अनुचित और भेदभावपूर्ण हैं. 


हाई कोर्ट ने क्या कहा?


अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दिशानिर्देश पूरी तरह से उपभोक्ताओं के लाभ और सुरक्षा के लिए हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम, ड्राइवरों के उपचारात्मक प्रशिक्षण, वृद्धि मूल्य निर्धारण के मुद्दे, सुरक्षा और चालक अनुपालन, गैर-भेदभाव आदि जैसी प्रक्रियाएं पूरी तरह से आवश्यक हैं. खासकर कि एग्रीगेटर्स (उबर और ओला) से जुड़े ड्राइवरों के द्वारा यात्रियों के उत्पीड़न की हाल की घटनाओं के संदर्भ में. 


क्या कहा कैब एग्रीगेटर्स ने?


एग्रीगेटर्स की ओर से कहा गया कि ड्राइवरों को विभिन्न अतिरिक्त कठिन परीक्षणों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों से गुजरना होगा और विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, जो समान सेवा प्रदान करने वाले अन्य कैब ड्राइवरों को नहीं करना होगा. 


राज्य सरकार ने दिया ये तर्क


दूसरी ओर राज्य सरकार ने इस तथ्य को बताते हुए दिशानिर्देशों का बचाव किया कि ओला कैब जैसे अन्य एग्रीगेटर्स ने पहले ही लाइसेंस के लिए आवेदन दाखिल करना शुरू कर दिया है (दिशानिर्देशों के तहत). ऐसे कई अनंतिम लाइसेंस उनके ड्राइवरों को पहले ही जारी किए जा चुके हैं और इस प्रकार ये व्यावहारिक मानदंड हैं.


पीठ ने विचार करने के बाद कहा कि राज्य ने उचित प्रक्रिया का पालन किया है और हितधारकों से परामर्श किया है. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि दिशानिर्देश केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का काफी हद तक पालन करते हैं और केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों से मामूली अंतर से कैब (Cab) एग्रीगेटर्स के कामकाज में कोई बड़ी बाधा नहीं डालते हैं. इसलिए उपलब्ध सामग्रियों और प्रासंगिक कानूनी प्रावधानों पर विचार करने पर अधिसूचना के माध्यम से लागू दिशानिर्देशों को जारी करने में कोई विसंगति या अवैधता नहीं मिली. 


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