देवरिया, मथुरा, दलसिंहसराय, गया जैसे 40 शहरों में अब खुलेंगे कॉल सेंटर
बीपीओ प्रमोशन स्कीम के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, हैदराबाद, बैंगलूरु, पुणे, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों के बजाए छोटे-छोटे शहरों में क़ॉल सेंटर खोले जाने को प्रोत्साहित करना है.
नई दिल्ली: छोटे-छोटे शहरों में कॉल सेंटर खोलने की बीपीओ स्कीम के तहत सरकार ने 35 हजार सीट की मंजूरी दे दी है. इस योजना के तहत 48,300 सीटें मुहैया करायी जानी हैं. सरकार को उम्मीद है कि ये लक्ष्य अगले छह महीने में पूरी हो जाएगी.
बीपीओ प्रमोशन स्कीम के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, हैदराबाद, बैंगलूरु, पुणे, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों के बजाए छोटे-छोटे शहरों में क़ॉल सेंटर खोले जाने को प्रोत्साहित करना है. इसके लिए कंपनियां आवेदन करती हैं और उन्हे हर सीट के लिए एक लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलती है. छोटे-छोटे शहरों में बने कॉल सेंटर से क्षेत्रीय भाषाओं में कम से कम लागत पर ग्राहक सेवा मुहैया कराना संभव हो ही सकता है, साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार के मौके पर भी बनते हैं.
अब तक 17 राज्यों के 48 जगहों पर ऐसे कॉल सेंटर शुरु हो चुके हैं जिनमें कुल मिलाकर 13,780 सीटें हैं. इनमें कुल मिलाकर 10,297 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ है. जिन जगहों पर इस योजना के तहत कॉल सेंटर खुले हैं उनमें बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर, उत्तर प्रदेश के बरेली, कानपुर और वाराणसी, जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह, बदगाम, जम्मू, सोपोर और श्रीनगर मुख्य रुप से शामिल हैं. अब नये दौर में कंपनियों ने बिहार के जहानाबाद, गया और दलसिंहसराय, उत्तर प्रदेश के मथुरा, बैतलपुर (देवरिया) और फर्रुखाबाद और ओडिशा के बालाशोर, कटक और पुरी जैसे 40 शहर शामिल हैं.
सूचना तकनीक मंत्री रवि शंकर प्रसाद का कहना है कि छोटे शहरों में डिजिटल उम्मीदों को पूरा करने का एक मजबूत माध्यम बीपीओ बनता जा रहा है. उम्मीद है कि नयी योजना से डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा. योजना के तहत पूर्वोत्तर में खास तौर पर 5000 सीटें मुहैया कराने का योजना है. इसके लिए 11 कंपनियों को 1630 सीटें आवंटित की गयी हैं जिसमें से सात इकाइयों ने काम करना शुरू भी कर दिया है. इनमें कुल मिलाकर 900 सीटें है जबकि 723 लोगो को सीधे-सीधे रोजगार मिला हुआ है.
बीपीओ प्रमोशन योजना पर कुल मिलाकर 493 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है जबकि पूर्वोत्तर में इस योजना पर 50 करोड़ रुपये खर्च होंगे. सूचना तकनीक मंत्री का कहना है कि नयी योजना बड़े शहरों में रोजगार की तलाश में गए लोगों को छोटे शहरों औऱ कस्बों में वापस लाने में मदद करेगा. दूसरी ओर लागत में कमी की वजह से आयरलैंड, वियतनाम और फिलिपिंस जैसे देशों के मुकाबले यहां कम खर्च पर कॉल सेंटर शुरु करना संभव हो सकेगा.