Pathan Besharam Rang Song: बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' को लेकर विवाद थम नहीं रहे हैं. पठान फिल्म के गाने बेशर्म रंग को लेकर खूब बवाल मच रहा है. इन सबके बीच भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा कि सेंसर बोर्ड के पास फिल्म 'पठान' से विवादास्पद 'बेशर्म रंग' गाने को हटाने का विकल्प अब भी है. सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सेंसर बोर्ड के पास बेशर्म रंग गाने को हटाने का अधिकार है? सेंसर बोर्ड क्या है? ये कैसे काम करता है? आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब...


सेंसर बोर्ड क्या है?


किसी भी फिल्म की सिनेमाघरों में रिलीज से पहले सेंसर सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. फिल्मों को ये सर्टिफिकेट केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से लेना होता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड एक वैधानिक संस्था है. जिसे आम बोलचाल की भाषा में सेंसर बोर्ड भी कहा जाता है. सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 के अनुसार, ये बोर्ड फिल्मों को उनके कंटेंट के हिसाब से अलग-अलग सर्टिफिकेट देता है. सेंसर बोर्ड में अध्यक्ष और बोर्ड के 25 सदस्यों के साथ एडवाइजरी पैनल के 60 सदस्य होते हैं. इन सबकी नियुक्ति केंद्र सरकार की ओर से की जाती है.


किस तरह के सर्टिफिकेट देता है सेंसर बोर्ड?


सेंसर बोर्ड सभी तरह की फिल्मों को उनके अलग-अलग कंटेंट के हिसाब से चार तरह के सर्टिफिकेट देता है. सर्टिफिकेट देने से पहले फिल्म में किसी खास वर्ग की भावनाओं को ठेस न पहुंचाने, हिंसा को सही ठहराने, जानवरों पर क्रूरता जैसे पैमानों पर सीन को देखा जाता है. अगर फिल्म में इस तरह का कोई सीन होता है, तो उस पर सेंसर बोर्ड की कैंची चल जाती है.  


U यानी यूनिवर्सल सर्टिफिकेट वाली फिल्म सभी प्रकार के दर्शक वर्ग के लिए होती है. वहीं, U/A सर्टिफिकेट वाली फिल्म को 12 साल से कम उम्र के बच्चे अपने पैरेंट्स या बालिग लोगों की निगरानी में देख सकते हैं. A सर्टिफिकेट वाली फिल्म को सिर्फ व्यस्क दर्शक ही देख सकते हैं. वहीं, S सर्टिफिकेट वाली फिल्म स्पेशल वर्ग के लोगों के लिए ही प्रमाणित की जाती है. 


क्या फिल्मों पर रोक लगा सकता है सेंसर बोर्ड?


सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 के तहत अगर फिल्म के किसी हिस्से से भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों और सार्वजनिक व्यवस्था को ठेस पहुंचती है या इसे खतरा हो सकता है, तो फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा. फिल्म के किसी हिस्से से अदालत की अवमानना, किसी वर्ग विशेष की जबरन मानहानि ना हो रही हो. सेंसर बोर्ड इसका भी ध्यान रखता है. सेंसर बोर्ड किसी भी फिल्म के सर्टिफिकेशन में 68 दिनों से ज्यादा का वक्त नहीं ले सकता है. 


सेंसर बोर्ड को कई अधिकार मिले हुए हैं. जिसके जरिये वह फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार कर सकता है. हालांकि, ये किसी फिल्म पर बैन नहीं लगा सकता है. अगर सेंसर बोर्ड की ओर से फिल्म के किसी सीन पर आपत्ति जताई जाती है, तो इसे कांट-छांट कर या हटाने का आदेश भर दे सकता है. सेंसर बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ फिल्म निर्माता कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं.


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