नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में आज भारी हिंसा की घटना देखने को मिली. सीएए समर्थक और विरोधी के बीच पत्थरबाजी से शुरू हुई घटना आगजनी तक पहुंच गई. जाफराबाद, मौजपुर चांदबाग और भजनपुरा में कई घरों, दुकानों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. एक पेट्रोल पंप पर भी आग लगा दिया गया. इस दौरान गोकलपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त के कार्यालय से जुड़े हेड कांस्टेबल रतन लाल की चोट लगने से मौत हो गई. शाहदरा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अमित शर्मा समेत कई पुलिस कर्मी घायल हो गए.
हिंसा की घटना को देखते हुए उत्तर पूर्वी दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई है और अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है. दिल्ली में कुल 9 मेट्रो स्टेशन बंद हैं. सवाल उठ रहा है कि आखिर जब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दिल्ली की यात्रा पर हैं और इसी के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं तो इतनी बड़ी हिंसा कैसी हो गई?
मौजपुर और जाफराबाद में रविवार को भी जमकर पत्थरबाजी हुई थी. गृह मंत्रालय का दावा है कि अब स्थिति नियंत्रण में है. हिंसा की घटना की सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की है और हिंसा में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
हिंसा की घटना के बाद अब लोगों के जेहन में उत्तर प्रदेश की तस्वीर सामने आ रही है और सवाल उठ रहा है कि क्या हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए CM योगी का फॉर्मूला काम आ सकता है?
दरअसल, पिछले दिसंबर के महीने में जब नागरिकता संशोधन कानून बना तो देशभर के कई हिस्सों में कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए. उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, कानपुर, बरेली, अलीगढ़, बिजनौर, रामपुर और लखनऊ समेत कई जिलों में आगजनी गोलीबारी की घटना सामने आई. कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई.
तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को खुली छूट दी और प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए. योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "राज्य में कई जिलों में हिंसा और सार्वजनिक और निजी संपत्ति नष्ट हो गई है और हम इससे सख्ती से निपटेंगे. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा और उन्हें नीलाम कर दिया जाएगा."
जिसके बाद पुलिस एक्शन में आई. एक हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया. प्रशासन ने आरोपियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की. कुछ दिनों में इसका परिणाम दिखने लगा और हिंसक प्रदर्शन थम सा गया. हालांकि पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठे. विपक्षी दलों ने मारे गए लोगों के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की मांग की और बेवजह लोगों को फंसाने का आरोप लगाया. मुजफ्फरनगर में पुलिस पर आरोप लगे कि पुलिस ने आम लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की.
पुलिस की कार्रवाई का मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा. पिछले दिनों इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई और कई मामलों में संपत्ति जब्ती के प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी.
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