नई दिल्ली: हाल ही में चीन में की गयी एक कोरोना रिसर्च में पाया गया कि कोरोना वायरस सेक्स के जरिए भी संचारित (transmit) हो सकता है. इस बात में कितनी सच्चाई है वो जानने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम ने गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर मृणाल पाहवा से बात की. चीन में मेडिकल रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना वायरस सेक्स के जरिए भी फैल सकता है.


सवाल- कोरोना महामारी के फैलने में इसे कितना बड़ा खतरा माना जा सकता है?


जवाब- इस रिसर्च में यह सिर्फ 38 में से 6 लोगों में पाया गया है. एक छोटा सैंपल लिया गया था. उन 6 में से भी 4 एक्टिव संक्रमण के केस थे और 2 रिकवर कर रहे थे. तो यह स्टडी बस यह बयान करती है कि कोरोना वायरस सीमन में भी पाया जा सकता है.


अभी तक जितना भी डाटा उपलब्ध है कहीं पर भी इस बात की पुष्टि नही हुई है कि कोरोना सेक्सुअली ट्रांसमिटेड हो सकता है. आगे जाकर मुझे उम्मीद है कि इस पर एक बड़े पेशेंट पापुलेशन के साथ और भी स्टडीज की जाएंगी. लेकिन मुझे फिर भी नही लगता कि इसमें कुछ ठोस निकल कर सामने आ पायेगा.


सवाल- करीब 16 फीसदी मरीजों की जांच में ये खुलासा हुआ है कि पूरी तरह ठीक होने के बाद भी उनके सीमेन में कोरोना वायरस पाया गया...? तो क्या नवजात बच्चों में जन्म से ही कोरोना इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है?


जवाब- मैंने जैसे कि बताया कि कोरोना वायरस का सीमेन में पाया जाना जीन्स में जाने की पुष्टि नहीं करता कि वो सेक्सुअली ट्रांसमिटेड हो सकता है. पार्टनर या नवजात बच्चे को कोई नुकसान पहुंचा सकता है या नहीं अभी तक ऐसा कोई भी डाटा नही है. वर्टीकल ट्रांसमिशन यानी कि मां से बच्चे में किसी बीमारी के जाने की पुष्टि करने वाला डेटा अभी नहीं है. लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अगर मां कोरोना पॉजिटिव है तो नवजात बच्चे में डिलीवरी के समय या फिर डिलीवरी के बाद कोरोना का खतरा बढ़ जाता है.


सवाल- अक्सर मेडिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए फिलहाल किसी भी दंपति को बच्चे की प्लानिंग नहीं करनी चाहिए. क्या व्यवहारिक रूप से ऐसा मुमकिन है कि उन सभी महिलाओं को मेडिकल निगरानी में रखा जाए-जो अगले कुछ महीनों में मां बनने वाली हैं?


जवाब- जो दम्पति इस वक्त फैमिली प्लान का सोच रहे हैं, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए की इस वक्त प्रेगनेंसी अवॉयड करें और जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि महामारी की वजह से फीटल रिलेटेड खतरा उन्हें ज्यादा हो सकता है.


सवाल- क्या कोरोना वायरस की वजह से गर्भ में ही बच्चे की जान को खतरा होगा- मां की सेहत पर क्या असर होगा ?


जवाब- बहुत ही कम मामलों में ऐसा देखा गया है कि मां से बच्चा कोरोना संक्रमित हुआ हो. इसीलिए गर्भ में ही बच्चे के कोरोना वायरस पॉजिटिव होने के चान्सेस काफी कम हो जाते हैं. लेकिन वो मां जिनके अंदर कोरोना वायरस इन्फेक्शन गम्भीर (severe) होता है. उन मांओं पर नवजात बच्चे के संदर्भ में कंप्लीकेशन्स होना जैसे कि फीटल डिस्ट्रेस, प्री टर्म लेबर आदि के चान्सेस ज्यादा रहते हैं. डिलीवरी के टाइम में कोरोना इंफेक्शन ऐसी मांओं में बढ़ सकता है इसीलिए मेडिकल सुपरविशन कि जरूरत हमेशा रहती है.


सवाल- अगर नवजात बच्चों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया, तो उनका इलाज कैसे मुमकिन हो पाएगा?


जवाब- अगर ऐसा होता है तो कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत है. जैसे कि जो रूल्स बाकी कोरोना पेशेंट्स पर लागू होते हैं जैसे कि हैंड हाइजीन, आइसोलेशन, डिसिन्फेक्शन, यह सभी और भी सकती से लागू होने चाहिए. जो सिम्प्टोमैटिक बच्चे हैं, उन्हें एक अलग Neonatal Intensive care unit (NICU) में रखा जाना चाहिए. इन जगहों पर स्पेशल पीपीई यूज, minimum person movement, adequate ventilation, ऐसे नियमों का पालन होता है और होना भी चाहिए.


इन बच्चों में अगर वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ती है तो जो नॉर्मल लंग प्रोटेक्टिव स्ट्रेटेजी बच्चों में रहती है, उन प्रिंसिपल्स का पालन करना और भी जरूरी हो जाता है. इनमें नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन सबसे ज्यादा लाभदायक रहती है. अभी तक इन नवजात शिशुओं में किसी भी एंटी वायरल या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को इस्तेमाल करने की मंजूरी नहीं दी गयी है तो ऐसे बच्चों को केअर करना जरूरी है.


अभी तक जितना भी डाटा ऐसे नवजात शिशुओं के सन्दर्भ में उपलब्ध है वो यही कहता है कि ऐसे बच्चों में कोरोना का असर माइल्ड रहता है, और ज्यादा तर केसेस में लॉन्ग टर्म वेंटिलेटर सपोर्ट की कोई आवश्यकता नहीं होती.


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