नई दिल्ली: नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, नागरिकता संशोधन बिल पर प्रशांत किशोर के बयान से नाराज है. प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन बिल पर 9 दिसंबर को ट्वीट करके बयान दिया था और पार्टी के समर्थन पर दुख और आश्चर्य जाहिर किया था.


प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था "धर्म के आधार पर नागरिकता के अधिकार में भेदभाव करने वाले नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने वाले वीडियो को देखकर निराशा हुई है. ट्वीट में प्रशांत किशोर ने लिखा था कि यह पार्टी संविधान के खिलाफ है. जिसमें पहले पन्ने पर ही 3 बार धर्मनिरपेक्ष शब्द का जिक्र है और पार्टी गांधीवादी सिद्धांतों के आधार पर चलाए जाने की घोषणा है".


जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक नागरिकता संशोधन बिल पर प्रशांत किशोर का बयान अनावश्यक है. पार्टी में प्रशांत किशोर के बयान को लेकर नाराजगी है. असहमति के स्वर पार्टी के भीतर उपयुक्त मंच पर जाहिर किए जाने चाहिए. सार्वजनिक टिप्पणी पार्टी के लिए शर्मिंदगी का विषय बनी हुई है. जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर की राजनीतिक गतिविधियां और व्यवसायिक गतिविधियां पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. सूत्रों के मुताबिक आगे का रास्ता जेडीयू को नहीं प्रशांत किशोर को तय करना है. इशारा साफ है कि प्रशांत किशोर के जेडीयू से बाहर जाने का रास्ता खुला हुआ है.


पार्टी के खिलाफ प्रशांत किशोर के सुर यहीं नहीं रुके. 11 दिसंबर को जब राज्यसभा में जेडीयू नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर रहा था उस वक्त भी उन्होंने ट्वीट कर कहा था, "हमें बताया गया है कि नागरिकता देने के लिए के लिए है ना की नागरिकता लेने के लिए, किसी की नागरिकता लेनी भी नहीं है लेकिन सच्चाई यह है कि एनआरसी के साथ यह धर्म के साथ लोगों के व्यवस्थित रूप से भेदभाव और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में घातक हथियार में बदल सकता है".


प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए कहा था कि "नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हुए जेडीयू नेतृत्व में उन सभी लोगों को एक पल में छोड़ दिया जिन्होंने वर्ष 2015 में जेडीयू पर अपने भरोसे को दौर दोहराया था". प्रशांत किशोर के इन बयानों को लेकर पार्टी का नेतृत्व खासा नाराज है. पार्टी सूत्रों का मानना है कि प्रशांत किशोर को अगर असहमति जताने थी तो पार्टी के आलाकमान के सामने या फिर किसी उपयुक्त मंच पर अपनी बात रखनी चाहिए थी, लेकिन सार्वजनिक टिप्पणी करके उन्होंने पार्टी को शर्मसार किया है. जाहिर तौर पर प्रशांत किशोर और पार्टी आलाकमान के विचारों में यह मतभेद प्रशांत किशोर को जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं. हालांकि सूत्रों का यह कहना है कि प्रशांत किशोर पर पार्टी अपनी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं करेगी. अगर वो खुद अपना रास्ता चुनना चाहे तो वे स्वतंत्र हैं.


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