राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कल यानी 8 नवंबर की देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक इसका केंद्र नेपाल था और इसकी तीव्रता 6.3 थी. भूकंप गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी. 


भूकंप की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि इससे नेपाल में 6 लोगों की मौत हो गई. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब भूकंप का कहर देखने को मिला हो. भारत में इस साल जनवरी महीने से अब तक यानी पिछले 10 महीने में 948 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. हालांकि ज्यादातर की तीव्रता कम थी लेकिन 240 बार ऐसा झटका महसूस किया गया जब इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर चार से ऊपर था. 


नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा के अनुसार इस साल यानी 2022 में उनके पास मौजूद 152 स्टेशनों से 1090 बार भूकंप आने की जानकारी मिली. लेकिन 948 बार ऐसे भूकंप रिकॉर्ड हुए जो भारत और उसके आसपास के एशियाई देशों में पैदा हुए. वहीं उत्तराखंड में इस साल अभी तक 700 से ज्यादा छोटे-बड़े भूकंप आ चुके हैं. हालांकि ज्यादातर भूकंप तीन मेग्नीट्यूड से कम के थे. लेकिन आइये जानते हैं कि क्या देशभर में लगातार आ रहे भूकंप की वजह से डोलती धरती से डरना जरूरी है? क्या भूकंप आने से पहले लोगों को अलर्ट किया जा सकता है?


भूकंप आने से पहले लोगों को अलर्ट किया जा सकता है?




भू वैज्ञानिक अमिताभ पांडेय ने AbP न्यूज से बात करते हुए कहा कि आज तक ऐसा कोई टेक्नोलॉजी विकसित नहीं किया गया है जो भूकंप आने की जगह, समय और तीव्रता का पहले ही सटीक पता लगा सके. लेकिन ये अंदाजा लगाना संभव है की कौन सा शहर भूकंप प्रभावित क्षेत्र है. ऐसे क्षेत्र में एहतियातन कुछ चीजों का ख्याल रखा जाए तो किसी बड़े हादसे को टाला जा सकता है.


धरती के अंदर दो प्लेटों के बीच स्ट्रेस बनने से भूकंप की स्थिति पैदा होती है. ऐसे में जो खतरनाक जोन हैं, वहां पर आपको पहले से तैयारी करनी पड़ती है. जैसे उस जोन में जो बिल्डिंग बन रही है उसे तरीके से बनाया जाना चाहिए जो भूकंप को बर्दाश्त कर सके. ज्यादातर लोगों को इस बात का पता नहीं होता कि भूकंप प्रभावी जोन में घर बनाने से पहले क्या क्या करना चाहिए. हमें सबसे पहले बिल्डिंग बनाने से पहले उसके डिजाइन के ऊपर काम करने की जरूरत है. जागरूकता के अभाव में ज्यादातर लोग ऐसा नहीं करते हैं. 


इसके अलावा ऐसे क्षेत्रों में वॉर्निंग सिस्टम होनी चाहिए जो भूकंप के वक्त वहां रह रहे लोगों को वार्निंग दे सके और वह किसी सुरक्षित स्थानों की तरफ भाग सकें. 




इस साल का दो सबसे बड़ा भूकंप 


इस साल देश में आए सबसे बड़े भूकंप की बात करें तो. अब तक सबसे ज्यादा तीव्रता वाले दो बड़े भूकंप आए हैं. इन दो भूकंप में एक 8 नवंबर यानी कल महसूस किया गया था.  8 नवंबर की देर रात 1.57 बजे नेपाल में आए भूकंप की 6.3 तीव्रता थी. दूसरा झटका महसूस किया गया था अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में. यह 431 किलोमीटर दूर उत्तरी सुमात्रा में आया और इसकी 6.1 तीव्रता थी. जिसका झटका दक्षिणी भारत तक महसूस हुआ था. 


क्या भूकंप आने से पहले लोगों को अलर्ट किया जा सकता है?


बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक ऐप तैयार किया था, जिससे आने वाले भूकंपों पर नज़र रखना आसान हो गया है. इस ऐप का नाम 'माईशेक' है. ये फोन के मोशन सेंसरों की मदद से धरती के नीचे हो रही किसी भी हलचल का पता लगा लेता है. 


इसके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रुड़की के वैज्ञानिकों ने साल 2018 में दावा किया था कि उन्होंने तकनीक विकसित की है जिसमें भूकंप से एक मिनट पहले लोगों को जानकारी मिल सकती है. हालांकि उत्तराखंड के कुछ इलाके जो भूकंप प्रभावित हैं वहां पहले से ही ऐसी प्रणाली लगी हुई है जिसमें ऐसे नेटवर्क सेंसर लगे हुए हैं जो भूकंप के बाद पृथ्वी के परतों से गुजरने वाले भूकंपीय तरंगों की पहचान करती है.


साल 2021 में आईआईटी रुड़की ने ‘‘उत्तराखंड भूकंप अलर्ट” नाम का एक भूकंप पूर्व चेतावनी (ईईडब्ल्यू) मोबाइल ऐप तैयार किया. जो इस तरह का भारत का पहला मोबाइल ऐप है. इस ऐप की मदद से भूकंप शुरू होने का पता लग सकता है और राज्य को जोर के झटके लगने से पहले सार्वजनिक चेतावनी दी जा सकती है. भूकंप की पूर्व चेतावनी देने वाला यह देश का पहला ऐप है.


क्यों आता है भूकंप




धरती की ऊपरी सतह टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं. जब प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है. उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है. कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है. फिर भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं.


रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता का क्या होता है असर


किसी भी क्षेत्र में आए भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है. 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर सिर्फ सिस्मोग्राफ से ही पता चलता है. 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर हल्का कंपन होता है. 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर किसी भी व्यक्ति को कंपन का अहसास होता है. 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर खिड़कियां टूट सकती जाती है, दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं. 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर फर्नीचर हिल सकता है. 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर इमारतों की नींव दरक सकती है. 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर इमारतें गिर जाती हैं, जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं. 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं. 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर पूरी तबाही होती है. 


मध्यम और बड़े भूकंप कौन से होते हैं ?


रिक्टर स्केल पर 5-5.9 के भूकंप मध्यम दर्जे के होते हैं और प्रतिवर्ष 800 झटके लगते हैं. 6-6.9 तीव्रता तक के भूकंप बड़े माने जाते हैं और साल में 120 बार आते हैं. 7-7.9 तीव्रता के भूकंप साल में 18 बार आते हैं. 8-8.9 तीव्रता के भूकंप साल में एक आ सकता है तो वहीं 9 से बड़े भूकंप 20 साल में एक बार आने की आशंका रहती है. 


भूकंप संभावित इलाके


देश में भूकंप के इतिहास को देखते हुए भूगर्भ विशेषज्ञों ने देश के लगभग 59 प्रतिशत भू क्षेत्र को भूकंप की संभावित क्षेत्र घोषित किया है. जिसमें 11 प्रतिशत अति उच्च जोखिम क्षेत्र यानी 'जोन 5'  है और 18 फीसदी उच्च जोखिम क्षेत्र यानी 'जोन 4' है. 30 प्रतिशत ऐसे क्षेत्र हैं जो मध्य जोखिम कैटेगरी 'जोन 3' में आते हैं. 


गुवाहाटी और श्रीनगर भूकंप जोन 5 में स्थित हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जोन 4 में आता है और मेगा सिटी मुम्बई, कोलकता, चेन्नई जोन 3 में स्थित हैं. इसके अलावा देश के 38 शहर जिसकी आबादी 5 लाख से 10 लाख के बीच में है, भूकंप के इन तीन जोन में स्थित हैं. 


भारत में सबसे तीव्रता वाले 5 बड़े भूकंप के झटके 




भारत में अबतक सबसे ज्यादा तीव्रता के जो पांच बड़े भूकंप आए हैं. वो हैं  20 सितंबर 2011, इस दिन सिक्किम में 6.8 तीव्रता का एक भूकंप आया, जिसमें कम से कम 68 लोग मारे गए. दूसरा भूकंप 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में महसूस किया गया. इस दिन गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता का एक भूकंप आया, जिसमें 10 हजार से अधिक लोग मारे गए थे. तीसरा सबसे तीव्र भूकंप. इसके अलावा 2 मई 1997 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में 8.2 तीव्रता वाला भूकंप आया जिसमें 41 लोग मारे गए थे. 30 सितम्बर 1993 के महाराष्ट्र के लातूर में 6.3 की तीव्रता के भूकंप में 7601 की मौत हो गई. वहीं 20 अक्टूबर 1991 को  तत्कालीन यूपी के उत्तरकाशी में 6.6 की तीव्रता वाले भूकंप में 768 लोगों की मौत हुई थी. 


दुनिया में आए 5 बड़े भूकंप


11 मार्च 2011 को जापान के उत्तर पूर्वी तट पर समुद्र के नीचे 9.0 की तीव्रता के भूकंप आने के बाद आई सुनामी से करीब 18 हजार 900 लोगों की मौत हो गई थी. अलावा 12 जनवरी 2010 को हैती में 7.0 तीव्रता वाले भूकंप में 3,16,000 लोगों की मौत हुई थी. 12 मई 2008 को चीन के दक्षिण पश्चिम प्रांत सिचुआन में 8.0 की तीव्रता वाले भूकंप से 87 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. 8 अक्टूबर, 2005 को उत्तरी पाकिस्तान  में 7.6 तीव्रता का भूकंप, 86 हजार लोग मारे गए थे. वहीं 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.1 की तीव्रता से भूकंप आया था जिसमें 2,27,898 मौतें हुई थी. 


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