नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी इन दिनों चर्चा में है. चर्चा छात्रों के प्रदर्शन को लेकर है, चर्चा पुलिस के कार्रवाई को लेकर है और चर्चा नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अचानक हिंसात्मक हो जाने को लेकर भी है. उर्दू भाषा, में जामिया का अर्थ विश्वविद्यालय होता है और मिल्लिया का अर्थ है 'राष्ट्रीय' होता है. हालांकि इस वक्त जामिया के छात्रों पर नागरिकता कानून का विरोध करने के कारण कई तरह के आरोप लग रहे हैं.


जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्र बीते चार दिन से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. रविवार कोइ जब प्रदर्शन का तीसरा दिन था तब शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक हिंसात्मक प्रदर्शन में बदल गया. आगजनी की घटनाएं हुई. बसों को जलाया गया. हालांकि छात्र पक्षों ने तुरंत हिंसात्मक घटना से किनारा किया और कहा कि इसमें उनका हाथ नहीं है. इसके बाद मामला राजनीतिक हो गया. बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के नेता आमानतुल्ला पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया. बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने तो यहां तक कह दिया कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में 'गोधरा कांड' करवाना चाहती है.


जल्द आम आदमी पार्टी भी बचाव करते हुए मामले में एक नया मोड़ लेकर आ गई. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बसो में आग लगाने का आरोप दिल्ली पुलिस पर लगा दिया. उन्होंने इस मामले को लेकर एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें दिल्ली पुलिस कंटेनर से बसों में कुछ डालती हुई दिख रही थी. उन्होंने कहा कि आग दिल्ली पुलिस ने लगाई है और इसकी जांच होनी चाहिए.


हालांकि दिल्ली पुलिस ने मनीष सिसोदिया के इस दावे को खारिज किया. उन्होंने कहा कि कंटेनर में पानी था और वह आग लगा नहीं बुझा रहे थे.


आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा था कि दिल्ली पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कैंपस में घुस गई और कथित तौर पर छात्रों को पीटा. पुलिस पर आरोप है कि वह यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी में घुस गई और वहां पढ़ रहे छात्रों के साथ मारपीट की, वहां तोड़फोड़ की. युनिवर्सिटी की VC ने भी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए.


इन सभी आरोपों को पुलिस ने खारिज किया. इसी बीच जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद ख़ान ने कहा, ''पुलिस जबर्दस्ती कैंपस के अंदर घुस गई. उन्हें कॉलेज की तरफ से अनुमति नहीं मिली थी.'' चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद ख़ान के बयान के बाद एक बहस शुरू हो गई कि क्या पुलिस को कैंपस में बिना इजाजत लिए जाना चाहिए था. क्या पुलिस ने ही कानून का उल्लंघन किया है. आइए जानते हैं युनिवर्सिटी में पुलिस के घुसने को लेकर क्या नियम हैं.


क्या युनिवर्सिटी में बिना इजाजत घुस सकती है पुलिस


पुलिस कैसे किसी को गिरफ्तार कर सकती है ? पुलिस के पास क्या शक्तियां हैं इसका जिक्र आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 41 में दी गई है. एक पुलिस अधिकारी की सामान्य शक्ति है कि वह मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और बिना किसी वारंट के किसी भी व्यक्ति को सीआरपी की धारा 41 के तहत गिरफ्तार कर सकती है.


CRPC में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को किसी भी स्थान में प्रवेश करने से रोकता हो. पुलिस को गिरफ्तारी का अधिकार है. वहीं सेक्शन 165 और 166 पुलिस को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी संदिग्ध केस में बिना वारेंट के कहीं भी सर्च कंडक्ट कर सकती है.


ये कानूनी प्रावधान यह स्पष्ट करते हैं कि पुलिस के पास किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए किसी भी स्थान पर प्रवेश करने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस के पास अधिकार है. कई ऐसे मौके आए हैं जब देश की पुलिस शिक्षण संस्थान और यहां तक कि धार्मिक स्थल तक में गई है. 1984 में, अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में सशस्त्र बलों ने प्रवेश किया था.


फिर बवाल क्यों


दरअसल एक शिष्टाचार के कारण आम तौर पर पुलिस एक शैक्षणिक संस्थान में अगर किसी को गिरफ्तार करना होता है तो उच्च अधिकारियों को विश्वास में लेती है. पुलिस ऐसा या तो उसकी अनुमति लेकर या अग्रिम में उसे सूचित करके करती है. वहीं इस मामले में दिल्ली पुलिस पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि एक पक्ष का कहना है कि छात्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस जबरन लाइब्रेरी में घुसी जहां वह पढ़ रहे थे. अगर उन्हें असमाजिक तत्वों के शैक्षणिक संस्थान के भीतर होने का शक भी था तो उसे कॉलेज प्रसाशन को विश्वास में लेकर शांतिपूर्ण तरीके से सर्च करना चाहिए था न कि छात्रों पर लाठियां भांजनी चाहिए थी. पुलिस के रवैए के कारण इस मामले में उनपर सवाल खड़े हो रहे हैं.