नई दिल्लीः नागरिकता कानून के मामले पर मंत्री अमित शाह ने भले ही दो टूक कह दिया हो कि सरकार इसे वापस नहीं लेगी लेकिन एनपीआर के कुछ विवादित प्रावधानों को हटाने पर सरकार विचार कर सकती है. सरकार की तरफ़ से आज इस बात के संकेत दिए गए. सूत्रों के मुताबिक़ सरकार एनपीआर के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फॉर्म से उस कॉलम को हटाने पर विचार कर सकती है जो माता पिता के जन्मस्थान और जन्मतिथि की जानकारी देने के लिए जोड़ा गया है.


सरकार ने दिए संकेत


आज कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि माता पिता के जन्मस्थान और जन्मतिथि की जानकारी देना वैकल्पिक बनाया गया है और सबूत के तौर पर कोई लिखित दस्तावेज़ नहीं देना होगा.


जावड़ेकर से फिर पूछा गया कि अगर वैकल्पिक है तो इस कॉलम को हटा ही क्यों न दिया जाए? इसपर उन्होंने जवाब दिया कि अगर किसी ने जवाब नहीं दिया तो उसे हटा हुआ ही समझिए. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ सरकार के भीतर इस विवादित कॉलम को लेकर मंथन चल रहा है. सरकार इस कॉलम को एनपीआर फॉर्म से हटाने पर विचार कर सकती है.


'मुझे भी माता पिता की जन्मतिथि नहीं मालूम'


फॉर्म के इस प्रावधान को लेकर विपक्षी दलों और उनकी राज्य सरकारों की ओर से विरोध किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री और एलजेपी नेता रामविलास पासवान ने भी कहा कि उन्हें भी अपने माता पिता की जन्मतिथि मालूम नहीं है और न ही उसका कोई सबूत है.


रामविलास पासवान ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी का मत है कि माता-पिता के जन्मस्थान और जन्मतिथि की जानकारी देना वैकल्पिक बनाया जाए और अगर कोई जानकारी दे भी तो सबूत के तौर पर दस्तावेज़ देना अनिवार्य नहीं बनाया जाए.


रामविलास पासवान से पहले हाल ही में तृणमुल कांग्रेस के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कॉलम को एनपीआर फॉर्म से हटाने की मांग की थी. इस जानकारी को विपक्षी दल एनआरसी से जोड़ कर देख रहे हैं.


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