क्या कोरोना महामारी में बंद बच्चों के स्कूल खुल सकते हैं, IMCR के डीजी बलराम भार्गव ने दिया ये जवाब
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि प्राइमरी स्कूलों को शुरू किया जा सकता है बशर्ते स्कूल के सपोर्ट स्टाफ पूरी तरह से वैक्सीनेटेड यानी टीका लगवा चुके हों.
Schools Reopening: क्या कोरोना के चलते बंद हुए बच्चों के स्कूल खुल सकते हैं, आईसीएमआर के मुताबिक प्राइमरी स्कूल को शुरू किया जा सकता है बशर्ते स्कूल का सपोर्ट स्टाफ पूरी तरह वैक्सीनटेड हो. ये बात आईसीएमआर ने चौथे सीरो सर्वे के आधार पर कही है, जिसमें पाया गया है कि बच्चों और वयस्कों में सीरो पॉजिटिविटी संक्रमण लगभग बराबर है. वहीं बच्चों में बच्चों ऐस रिसेप्टर नहीं होते है जिसे उन्हें कोई खास इसका असर नहीं पड़ता है.
आईसीएमआऱ के डीजी बलराम भार्गव ने कहा, “दो तिहाई लोगों में जिनमें बच्चे भी शामिल हैं…केवल बच्चों का देखा जाए तो आधे से ज्यादा में एंटीबॉडी पाई गई है. यूरोप जैसे देशों में प्राइमरी स्कूल बंद नहीं किए थे, बच्चे ज्यादा प्रोटेक्टेड होते हैं. बच्चों में ऐसे रिसेप्टर उनके फेफड़ों में कम होते हैं जहां वायरस चिपकते हैं. इसलिए स्कूल खुलते हैं तो पहले प्राइमरी स्कूल खोले जाएं. सपोर्ट स्टाफ को देखना होगा कि वो पूरी तरह से वैक्सिनेट हों. ये निर्भर करेगा राज्य और ज़िले के हिसाब से."
आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर बलराम भार्गव ने ये बात आज कोरोना पर देश का चौथा नेशनल सीरो सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कही जिसमे 67.60 फीसदी लोग अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण के दायरे में आ चुके हैं जिसमें 6 से 17 साल की उम्र के बच्चे भी शामिल हैं. ये सर्वे देश के 21 राज्यों के 70 उन्हीं जिलों में सीरो सर्वे किया गया जहां पहले के तीन सर्वे किए गए चुके हैं. बलराम भार्गव ने कहा कि छोटे बच्चे वायरस को बहुत आसानी से हैंडल कर लेते हैं. उनमें इन्फेक्शन कम देखा गया है. सर्वे में ये भी देखा गया कि 57.20 फीसदी एंटीबाडी है जो बिलकुल वयस्कों के बराबर है.
वहीं यूरोप के देशों का उद्धरण देते हुए हुए उन्होंने कहा की कोरोना की अलग अलग लहर के दौरान भी वहां प्राइमरी स्कूल खुले रहे. ऐसे में प्राइमरी स्कूल खुलने में कोई दिक्कत नहीं, बस स्कूल का स्टाफ वैक्सीनटेड हो.