सुप्रीम कोर्ट में रेप के आरोप का एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. मामला एक रेप आरोपी का है. उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिरफ्तार करने का आदेश सुनाया था लेकिन आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी से बचने और एफआईआर को खत्म करने का अनुरोध किया है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एस ए बोबडे ने की. सवाल था कि पति-पत्नी की तरह साथ में रह रहे दंपति के बीच अगर शारीरिक संबंध बनता है तो क्या उसे रेप कहा जा सकता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कपल पति-पत्नी की तरह रह रहा है और इसमें पति मान लीजिए कि हिंसक भी हो जाता है तो क्या साथ में रह रहे कपल के बीच बनाए गए फिजिकल रिलेशन को रेप कह सकते हैं? चीफ जस्टिस ने रेप के आरोपी विनय प्रताप सिंह मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को 8 सप्ताह तक गिरफ्तारी से बचने की सुरक्षा दे दी.


चाहे लड़की ही क्यों न हो, शादी का झूठा वादा गलत है
चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा शादी का झूठा वादा करना गलत है. इसमें चाहे महिला ही क्यों न शादी का झूठा वादा करे. दोनों मामले गलत हैं. उधर पीड़िता ने कहा, आरोपी ने धोखा देकर मुझसे संबंध बनाने की सहमति ली. इसलिए यह सहमति स्वतंत्र नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि आरोपी मुझे 2014 में मनाली के एक मंदिर में लेकर गया था और वहां पर शादी की रस्में भी पूरी कीं. पीड़िता की बात को काटते हुए आरोपी की वकील विभा दत्त मखीजा ने बहस का जवाब देते हुए कहा कि महिला दो साल तक युवक के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रही और अंत में शादी के झूठे वादे करने का बहाना बनाकर केस कर दिया. पीड़िता के वकील ने कहा, आरोपी ने पीड़िता को कई बार चोट भी पहुंचाया जिसका मेडिकल रिकॉर्ड है.दूसरी ओर आरोपी के वकील ने कहा, लड़की इस तरह की शिकायतें करने की आदी हैं. उसने पहले भी अपने ऑफिस के दो लड़के के खिलाफ इस तरह की शिकायतें की हैं.


क्या है मामला
दरअसल, यह मामला 2019 का है. विनय प्रताप सिंह पीड़ित के साथ पति पत्नी की तरह नोएडा में दो साल तक रहा . पीड़ित ने 2019 में नोएडा में विनय के खिलाफ एफआईआर लिखवाई. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि विनय ने शादी का झूठा वादा कर पीड़ित के साथ रेप किया. लेकिन पिछले साल वह वादे से मुकर गया और किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली. अप्रैल 2019 में आरोपी ने इस एफआईआर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला दायर किया. कोर्ट ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया. इस गिरफ्तारी के खिलाफ आरोपी विनय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जहां उसे गिरफ्तारी से बचने के लिए आठ सप्ताह की मुहल्लत दी गई है.


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