Canada Row: पंजाब में साथ आई कांग्रेस और बीजेपी, अकाली दल का रुख साफ नहीं, ये है असल वजह
Canada: भारत-कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह वहां के PM जस्टिन ट्रूडो के आरोप हैं. ट्रूडो ने पिछले हफ्ते संसद में कहा था कि खालिस्तानी नेता राजदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है.
India Canada Tension: वैसे तो बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे की कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं और इनका एकमत होना मुश्किल है, पर खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव ने उन्हें पंजाब में एकमत कर दिया है.
पंजाब में बीजेपी कनाडा पर केंद्र सरकार के राजनयिक रुख का समर्थन करने के लिए सभी राज्य दलों को एकजुट कर रही है. पंजाब में ऐसा करने की वजह यहां का कनाडा से खास कनेक्शन है. कनाडा में पंजाबी मूल की 2.6 प्रतिशत आबादी पंजाबी मूल की है.
भारतीय जनता पार्टी का रुख
पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने शुक्रवार को मीडियाकर्मियों से कहा कि कनाडा सरकार ने अलगाववादियों के लिए अपनी विदेश नीति को गिरवी रख दिया है. अगर ट्रूडो सरकार अलगाववादी ताकतों का समर्थन करना जारी रखती है, तो भारत सरकार वीजा सेवाओं को निलंबित करने का निर्णय जारी रखेगी. भारत की संप्रभुता और अखंडता अस्थायी चुनौतियों का सामना कर रहे व्यक्तियों की चिंताओं से अधिक महत्वपूर्ण है.
वहीं, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अमरिन्दर सिंह ने आरोप लगाया कि ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति के कारण जाल में फंस गए हैं और भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों को दांव पर लगा दिया है.
कांग्रेस भी कनाडा सरकार के विरोध में
पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने भी इस मामले में कनाडा सरकार का विरोध किया है और केंद्र सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया है. गुरुवार को लोकसभा में लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि ट्रूडो सरकार खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों को पनाह दे रही है. जवाहरलाल नेहरू से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी जी तक हमारी विदेश नीति गुटनिरपेक्षता की रही है. इसके अलावा कांग्रेस के कई और नेता भी कनाडा सरकार की कार्रवाई पर विरोध जता चुके हैं.
अकाली दल का रुख अलग
इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी जहां एकमत दिख रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अकाली दल इस मामले अलग रास्ते पर चल रही है और काफी नाप-तौल कर अपना रुख स्पष्ट कर रही है. दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में उसने सिख वोट भी काफी हद तक खो दिया. ऐसे में पार्टी मुख्य रूप से कनाडा में रहने वाले लोगों की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
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