गूगल जैसे समाचार मध्यस्थों पर हाल ही में कनाडा के एक आदेश से भारतीय अखबारों और इसके डिजिटल न्यूज एडिशन्स को बढ़ावा मिला है. गूगल के खिलाफ अपने न्यूज कंटेंट के एकाधिकारवादी शोषण की उनकी लड़ाई में एक बड़ा पड़ाव पार हो गया है. नामी भारतीय अखबारों और उनके डिजिटल एडिशन्स ने गूगल के एकाधिकार और स्थिति के कथित दुरुपयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अखबारों के सूत्रों के मुताबिक इन अखबारों के जो डिजिटल एडिशन्स कंटेंट बनाते हैं, उसके विज्ञापनों से गूगल खूब पैसा कमाता है. हालांकि, इस मामले में गूगल की ओर से उचित भुगतान देने या राजस्व का बंटवारा नहीं किया गया है, जिससे भारत में न्यूज पब्लिशर्स को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है.
विभिन्न देशों की सरकारें ओर पब्लिशर भी गूगल के इस शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और उचित भुगतान मिले, इसके लिए तेजी से कदम उठा रहे हैं. कनाडा से आया आदेश इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जो न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में गूंज रहा है. गूगल ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा और यूरोपीय संघ में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए जांच के दायरे में है.
न्यूज इंडस्ट्री सोर्सेज के मुताबिक, ऐसे आदेशों से भारतीय कानून निर्माताओं और सीसीआई को ज्यादा हौसला और बढ़ावा मिलेगा. साथ ही मीडिया और भारत में रियल न्यूज को ऐसे समय पर ग्रोथ मिलेगी, जब ग्लोबल सर्च इंजन के साथ फेक न्यूज के आधार पर भारत के खिलाफ नकारात्मक धारणा बनाने के लिए हेरफेर की जा सकती है.
कैनेडियन ऑर्डर के अनुसार, डिजिटल समाचार मध्यस्थों को रेग्युलेट करने के इरादे से एक ऑनलाइन न्यूज एक्ट बनाया गया है ताकि कनाडाई डिजिटल समाचार बाज़ार में निष्पक्षता को बढ़ाया जा सके. यह अधिनियम उन डिजिटल समाचार मध्यस्थों और गूगल जैसे दिग्गजों पर लागू होता है, जिनके पास न्यूज बिजनेस को लेकर जरूरी सौदेबाजी को असंतुलित करने की ताकत है. यह कुछ कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि मध्यस्थ एक अहम मार्केट पोजिशन में है या नहीं. आदेश में मध्यस्थ की ओर से मुहैया कराई गई खबरों के लिए न्यूज बिजनेस को अच्छा मुआवजे के प्रावधान की परिकल्पना की गई है.
इस प्रस्ताव से यह सुनिश्चित होगा कि फेसबुक और गूगल कमर्शियल डील्स को लेकर मोलभाव करेंगे और न्यूज पब्लिशर्स को उनके कंटेंट को लिए अच्छा पैसा देंगे. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल एक अहम कानून पास किया था. इस कानून के तहत फेसबुक और गूगल के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपने प्लेटफॉर्म्स पर न्यूज पब्लिशर्स को उनके कंटेंट के लिए अच्छा पैसा देंगे.
भारत के नामी अखबार और डिजिटल एडिशन्स का भारत में प्रतिनिधित्व डीएनपीए करता है. वह भी भारत में गूगल से उचित भुगतान को लेकर लड़ाई लड़ रहा है. कनाडा का आदेश ऐसे समय पर आया है, जब सीसीआई ने गूगल को डीएनपीए की शिकायत को लेकर नोटिस जारी किया है.
कनाडा के "ऑनलाइन न्यूज एक्ट" के लिए ऐसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की जरूरत पड़ेगी, जिसमें न्यूज पब्लिशर्स के साथ उचित सौदे करने के लिए सौदेबाजी असंतुलित हो, जो तब नियामक की जांच या मूल्यांकन के तहत होगा और अगर ऐसे सौदे अमल में नहीं आते हैं, तो प्लेटफॉर्म को अंतिम प्रस्ताव मध्यस्थता से गुजरना होगा, जो कनाडाई रेडियो-टेलिविजन एंड टेलीकम्युनिकेशन रेग्युलेटर की देखरेख में होगा.
बता दें कि कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया यानी सीसीआई ने गूगल के खिलाफ जांच का आदेश दिया है. दरअसल डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स असोसिएशन यानी डीएनपीए ने गूगल के खिलाफ डिजिटल एडवरटाइजिंग में अपने दबदबे का गलत फायदा उठाने को लेकर शिकायत दर्ज की थी. डीएनपीए के सदस्यों में जागरण न्यू मीडिया (दैनिक जागरण समूह), अमर उजाला, दैनिक भास्कर, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस, द टाइम्स ऑफ इंडिया, इनाडू, मलयालम मनोरमा, एबीपी नेटवर्क, जी मीडिया, मातृभूमि, हिंदू, एनडीटीवी, लोकमत, एक्सप्रेस नेटवर्क इत्यादि शामिल हैं.
डीएनपीए ने गूगल एलएलसी, अल्फाबेट, गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और गूगल आयरलैंड लिमिटेड (गूगल/OP) के खिलाफ कॉम्पिटिशन एक्ट 2002 के सेक्शन 19 (1) के तहत शिकायत दर्ज कराई है. इसमें इस कानून के सेक्शन 4 के उल्लंघन की बात कही गई है.
असोसिएशन का मानना है कि न्यूज वेबसाइट्स पर जो 50 प्रतिशत से अधिक ट्रैफिक आता है, वो गूगल के जरिए आता है, जो इस क्षेत्र का बड़ा खिलाड़ी है. गूगल अपने एल्गोरिदम के जरिए यह तय करता है कि सर्च में कौन सी वेबसाइट सामने आएगी. आगे कहा गया कि समाचार मीडिया कंपनियों का कंटेंट दर्शकों के लिए विज्ञापनदाता के साथ इंटरफेस करने के लिए संदर्भ बनाती है. हालांकि, ऑनलाइन सर्च इंजन (गूगल) को पब्लिशर्स की तुलना में राजस्व/रिटर्न ज्यादा मिलता है.
गौरतलब है कि गूगल डिजिटल एडवरटाइजिंग स्पेस में एक बड़ा स्टेकहोल्डर है और वह कंटेंट के लिए पब्लिशर्स को उनके कंटेंट के भुगतान में एकतरफा फैसला करता है. सूत्रों ने कहा कि डीएनपीए का मानना है कि गूगल ने बाजार में अपने दबदबे का दुरुपयोग और कॉम्पिटिशन एक्ट, 2002 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन किया है.
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