Cancer Proton Therapy: कैंसर से लड़ने के लिए नई तकनीक, अस्पताल ने खोजी 'न्यू प्रोटॉन रेडिएशन थेरेपी'
Apollo Hospital Chennai: जेमिन ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि अपोलो अस्पताल में इसका इलाज हो सकता है, तब उन्होंने वहां अपना इलाज करवाना शुरू किया.
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New Proton Radiation Therapy: कैंसर को एक बेहद प्राणघातक बीमारी माना जाता है, हर साल इस जानलेवा बीमारी के कारण न जाने कितने ही लोगों की मौत हो जाती है. इस दौरान चेन्नई के अपोलो कैंसर सेंटर में इस रोग से लड़ने के लिए एक नई तकनीक "न्यू प्रोटॉन रेडिएशन थेरेपी" की शुरुआत की गई है. दावा है कि यह थेरेपी कैंसर रोगियों पर अधिक और बेहतर प्रभाव डालती है.
चेन्नई के अपोलो प्रोटीन कैंसर सेंटर के डॉक्टर श्रीनिवास चिलुकुरी, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, ने एबीपी न्यूज को बताया कि 'प्रोटोन बीम थेरेपी' वर्तमान में दुनिया में उपलब्ध रेडिएशन थेरेपी का सबसे परिष्कृत रूप है. अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर में हमारे पास नवीनतम पीबीएस तकनीक है, जो हमें अत्यधिक केंद्रित प्रोटॉन को क्षेत्र-दर-क्षेत्र और परत-दर-परत वितरित करने में सक्षम बनाती है. इसके तहत पूरे ट्यूमर को कवर किया जा सकता है और आस-पास के अन्य स्वस्थ ऊतकों को विकिरण की कम खुराक मिलती है या कोई खुराक नहीं मिलती है.
ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना ट्यूमर का इलाज
डॉक्टर श्रीनिवास ने कहा, इस तरह के मामलों में, जहां ट्यूमर एक जोखिम भरे स्थान पर हों, जैसे कि खोपड़ी के तल में या फेफड़े में, प्रोटॉन थेरेपी से ट्यूमर को खत्म करने के लिए प्रोटॉन की एक किरण छोड़ी जाती है. इस दौरान आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना ट्यूमर के आकार और प्रकार के हिसाब से विकिरण को बेहतर तरीके से लक्षित किया जा सकता है. उचित रूप से उपयोग किए जाने पर यह कई कैंसर को ठीक करने या नियंत्रित करने में सफल साबित हुआ है.
गेमचेंजर हो सकती है थेरेपी
प्रोटॉन थेरेपी कई रोगियों में उपचार के तत्काल और दीर्घकालिक दुष्प्रभावों को कम करता है, जिससे लोगों की न केवल जान बच सकती है, बल्कि बाद के जीवन में भी सुधार होता है. यह थेरेपी भारत में केवल चेन्नई के इस अस्पताल में मौजूद है. वहीं डॉक्टर ने बताया के यह थेरेपी गेमचेंजर हो सकती हैं.
बिल्कुल स्वास्थ्य हुआ मरीज
डॉक्टर ने जेमिन मनसुखभाई नाम के एक रोगी का इस थेरेपी से इलाज किया था. जेमिन ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थे. जेमिन ने बताया कि वह केवल 25 साल के हैं और जब उन्हें ट्यूमर का पता चला था तब उनके लक्षण तीन महीने तक दाहिने हाथ में कमजोरी की शिकायत के साथ ऐसे ही थे. इसके बाद उनका एपीसीसी में उपचार किया गया. उनकी एमआर इमेजिंग में सर्वाइको-मेडुलरी जंक्शन में न्यूनतम पेरी-लीजनल एडोमा के साथ एक लोब्युलेटेड एक्सपेंसाइल लीजन का पता चला और एस्ट्रोसाइटोमा नामक ब्रेन ट्यूमर का पता लगाया गया.
जेमिन ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि अपोलो अस्पताल में इसका इलाज हो सकता है, तब उन्होंने वहां अपना इलाज करवाना शुरू किया. आज जेमिन बिलकुल बेहतर हैं और ट्यूमर उनके शरीर से जा चुका है.
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