नई दिल्ली: चुनाव के दौरान उम्मीदवारों को अपनी और परिवार की आय का स्त्रोत बताना होगा. ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है. फैसला एनजीओ 'लोक प्रहरी' की याचिका पर आया है. इस याचिका में नेताओं की संपत्ति तेज़ी से बढ़ने का हवाला दिया गया था. याचिका में कहा गया था कि उम्मीदवार हलफनामे में अपनी और परिवार की जो संपत्ति बताते हैं, वो चुनाव जीतने के कुछ समय बाद अक्सर काफी बढ़ जाती है. इसलिए चुनावी हलफनामे में उम्मीदवार को ये बताना चाहिए कि उसकी और परिवार की आमदनी का स्त्रोत क्या है. लोगों को ये जानने का हक है कि ये स्रोत कानूनी है या नहीं.
याचिका में कहा गया था कि 26 लोकसभा सांसदों, 11 राज्यसभा सांसदों और 257 विधायकों की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इनमें से कुछ की संपत्ति तो 500 गुणा तक बढ़ी है. इस आंकड़े पर जस्टिस जे चेलमेश्वर और एस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने हैरानी जताई थी.
कोर्ट ने ऐसे लोगों के खिलाफ हुई कार्रवाई पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से जवाब मांगा था. जवाब में CBDT ने बताया था कि वो 7 सांसदों और 98 विधायकों के खिलाफ जांच कर रहा है. बोर्ड ने इन नेताओं के नाम और जांच का ब्यौरा सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये भी कहा था कि नेताओं के आय से अधिक संपत्ति मामलों के तेज़ी से निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन होना चाहिए. कोर्ट ने नेताओं के व्यापार और उनके रिश्तेदारों को मिलने वाले सरकारी ठेकों की तरफ भी इशारा किया था.
कोर्ट ने कहा था, "कोई अपनी संपत्ति का स्त्रोत बता दे. तब भी ये देखने की ज़रूरत है कि आखिर वो इस स्थिति में कैसे पहुंचा कि उसके पास ऐसे स्त्रोत आए." हालांकि, पिछले साल सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर उम्मीदवार और उसके पति या पत्नी की आमदनी का स्त्रोत चुनावी हलफनामे में बताना जरूरी किया था. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद न सिर्फ जीवनसाथी बल्कि उम्मीदवार पर आश्रित परिवार के दूसरे सदस्यों की आमदनी का स्त्रोत बताना ज़रूरी होगा.