सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलवामा शहीदों की याद में निकाला गया कैंडल मार्च, आंदोलनकारी किसानों ने दी श्रद्धांजलि
सिंघु बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में आंदोलनरत किसानों ने कैंडल मार्च के ज़रिए देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले जवानों को याद किया और श्रद्धांजलि दी.
नई दिल्ली: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रविवार शाम पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कैंडल मार्च का आयोजन किया. ग़ाज़ीपुर में निकाले गए कैंडल मार्च में शामिल होने के लिए कुछ छात्र संगठन भी पहुंचे. कैंडल मार्च में भारी मात्रा में लोगों ने हिस्सा लिया. सिंघु बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में आंदोलनरत किसानों ने कैंडल मार्च के ज़रिए देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले जवानों को याद किया और श्रद्धांजलि दी. दो बरस पहले एक आतंकी घटना में 40 जवान शहीद हो गए थे.
टिकैत ने पुलवामा के शहीदों को दी श्रद्धांजलि राकेश टिकेत ने कैंडल मार्च कर पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "पानीपत टोल प्लाजा पर कैंडल मार्च कर पुलवामा हमले में शहीद हुए सभी मां भारती के लाल अमर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया."
राकेश टिकैत ने करनाल में लाल किले की घटना किया ज़िक्र किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सब निपटा दिया था उस दिन (26 जनवरी के दिन) लेकिन ये तो ऊपर वाले की मेहरबानी है कि लोग फिर से जुड़ गए. साथ ही उन्होंने कहा कि एक धार्मिक झंडा लाल किले पर लगवा कर पूरा देश ही बर्बाद कर दिया था. ऐसी नफरत फैला दी थी कि सरदार बहुत ही खराब कौम है. उसके साथ कहने लगे कि ये किसान भी खराब हैं. उन्होंने कहा कि सीधा पगड़ी पर हमला किया था. कुछ नहीं बचा था.
दो साल पहले शहीद हुए थे 40 जवान 14 फरवरी का दिन इतिहास में जम्मू कश्मीर की एक दुखद घटना के साथ दर्ज है. दो साल बीतें, लेकिन उस घटना के जख्म आज तक हरे हैं, जब आतंकवादियों ने इस दिन को देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना. राज्य के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए और कई गंभीर रूप से घायल हुए.
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