(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मामले निपटाने के अति उत्साह में किसी को न्याय से वंचित नहीं किया जा सकता: HC
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि कोर्ट को मामलों का निपटारा करने के अति उत्साह में किसी को भी कभी न्याय से वंचित नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने साथ ही कहा कि बड़ी संख्या में लंबित मामलों से निपटना न्यायिक व्यवस्था के लिए एक समस्या है.
जस्टिस बदर दुरेज अहमद और जस्टिस आशुतोष कुमार की एक पीठ ने यह बात एकल न्यायाधीश के एक फैसले को दरकिनार करते हुए कही जिन्होंने एक याचिकाकर्ता की ओर से दायर वाद को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में प्रतिवादी कंपनी द्वारा ट्रेड मार्क नियमों के कथित उल्लंघन पर स्थायी रोक की मांग की थी.
खंडपीठ ने उल्लेख किया कि एकल न्यायाधीश ने गत वर्ष अगस्त के अपने फैसले में वाद को दाखिल होने के चरण में ही सम्मन जारी किये बिना खारिज कर दिया था. खंडपीठ ने कहा कि ‘‘यह कानून के प्रावधानों के विपरीत है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम समापन से पहले बड़ी संख्या में लंबित मामलों को लेकर अदालत की चिंता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी करना चाहेंगे. इसमें कोई संदेह नहीं कि इससे निपटना न्यायिक प्रणाली के लिए एक बडी चुनौती है. लेकिन इसका उस व्यक्तिगत वादी से वास्ता नहीं जो न्याय की मांग को लेकर आता है.’’
होटल व्यवसायी याचिकाकर्ता यह दावा करते हुए हाईकोर्ट पहुंचा था कि प्रतिवादी कंपनी ट्रेड मार्क पीआरआईवीईई का इस्तेमाल कर रही है जो उनके ट्रेड मार्क एमबीडी पीआरआईवीई और पीआरआईवीई के जैसा या भ्रामक समान है.