Doda Terrorist Attack: 'गर्व तो होता ही है न. देश के लिए कुछ किया है उसने. गर्व तो है लेकिन... हमसे तो दूर गया न वो.' ये शहीद कैप्टन बृजेश थापा की मां के शब्द हैं, जिनकी आंखों में गर्व के आंसुओं के बीच बेटे को हमेशा के लिए खो देने का गम छलकते हुए साफ दिखाई दे रहा है. जम्मू कश्मीर के डोडा में भारी गोला-बारूद के साथ जब आतंकी नापाक मंसूबों को अंजाम देने पहुंचे तो भारतीय सेना दीवार की तरह उनके सामने आ गई.


इस एनकाउंटर में भारतीय सेना के चार जांबाज और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का एक दिलेर जवान शहीद हो गया. देश पर सर्वस्व कुर्बान करने वाले कैप्टन बृजेश थापा पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग के रहने वाले थे. उनकी शहादत की खबर उनकी मां निलिमा थापा को उनके शहीद होने के चंद मिनटों बाद ही मिल गई थी. वो बताती हैं कि उन्हें सोमवार रात 11 बजे पता चला कि बृजेश थापा इस दुनिया में नहीं रहे. 


परिवार ने कहा था नेवी जॉइन कर लो


बेटे के हमेशा-हमेशा के लिए दूर चले जाने के सदमें को छिपाते हुए निलिमा थापा बताती हैं कि बृजेश के पिता कर्नल भुवेश कुमार थापा भी फौज में थे और ये परिवार तीन पीढ़ियों से भारतीय सेना की सेवा करता आया है. बचपन से ही बृजेश ने घर में फौज का माहौल देखा और तभी से उन्होंने भी फौज जॉइन करने का सपना संजो लिया. निलिमा थापा बताती हैं कि जब बृजेश ने इस सपने के बारे में उन्हें बताया तो उन्होंने फौज की चुनौतियों से उन्हें रूबरू कराया और कहा कि वो नौसेना जॉइन कर सकता है, लेकिन बृजेश ने भारतीय थल सेना जॉइन करने की ही ठान रखी थी.


इस किस्से को सुनाते-सुनाते निलिमा भावुक हो जाती हैं और कहती हैं, 'मेरा बेटा तो गुम हो गया. अब तो वो कभी वापस नहीं आएगा. वो बहुत नेक था और कभी शिकायत नहीं करता था. उसको आर्मी में जाना था. हमने बताया था कि सेना की नौकरी कठिन होती है, उसके पापा भी आर्मी में थे, हमने उसे नेवी में जाने के लिए कहा था लेकिन उसको सेना में ही जाना था.' वो बताती हैं कि बृजेश का जन्म 15 जनवरी को हुआ था आर्मी डे वाले दिन और उसने आर्मी के लिए अपनी जान दे दी.


'आर्मी की गाड़ी में आगे वाली सीट पर बैठूंगा'


बृजेश की इस दीवानगी के बारे में उनके पिता कर्नल भुवनेश भी ऐसी ही कहानी सुनाते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कर्नल भुवनेश कहते हैं कि बृजेश बचपन से ही कहता था कि वो मेरे जैसा बनना चाहता है. वो बताते हैं कि जब वो फौज में थे तो गाड़ी में आगे बैठते थे और बृजेश पीछे. तब बृजेश उनसे बोलता था कि वो भी एक दिन अफसर बनकर आर्मी की गाड़ी में आगे वाली सीट पर बैठेगा. 


बेटे की शहादत की खबर के बाद अब पूरा परिवार उनके पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहा है. बताया जा रहा है कि शहीद कैप्टन बृजेश थापा का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा. बृजेश थापा के चाचा योगेश थापा का कहना है कि उन्हें मंगलवार तक पार्थिव शरीर सौंप दिया जाएगा, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 


'सरकार ऐसे तो नहीं बैठेगी...'


बृजेश के अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे परिवार में जम्मू-कश्मीर में हो रहीं आतंकी गतिविधियों को लेकर गुस्सा भी है. बृजेश के चाचा योगेश का कहना है कि बृजेश के रूप में उनके परिवार का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता. इसी के साथ वो सरकार से भी सवाल करते हुए कहते हैं कि हर रोज हमारे सैनिक मारे जा रहे हैं, लेकिन पता नहीं सरकार कब कार्रवाई करेगी. वहीं निलीमा भी उम्मीद लगाए हुए कहती हैं, 'सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. वो ऐसे तो नहीं ही बैठेगी.'


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