दिल्ली एनसीआर में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है. बढ़ते प्रदूषण की वजह लोगों की सेहत पर असर पढ़ रहा है. ऐसे में जिन्हें पहले से दिल की कोई तकलीफ है, दिल का ऑपेरशन हुआ है या ब्लड प्रेशर है उन्हें इस प्रदुषण के दौरान क्या क्या सावधानी बरतने की जरूरत है.


वहीं लोगों को क्या सावधानी बरतने की जरूरत है. इस बारें में हमने बात की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुभाष चंद्रा से. दिल्ली एनसीआर में जिस तरह का प्रदूषण उन लोगों के लिए जिन्हें दिल की बीमारी है या इलाज चल रहा है उनके लिए कितना खतरनाक है ये प्रदूषण?


दिल की मुख्य बीमारी के कारण है कोलेस्ट्रॉल का बढ़ जाना स्मोकिंग ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जब हम स्मोकिंग की बात करते हैं तो स्मोकिंग और प्रदूषण दोनों एक जैसे हैं. बदकिस्मती से हमारे शहर में प्रदूषण का रिश्ता है. जो वातावरण प्रदूषण है वह रेकमेंडेड स्तर से 8 गुना ज्यादा है जोकि बहुत सीरियस बात है और यह सालों साल से चल रहा है कारण इसे कई सारे हैं.


ठंड के मौसम में ये जो पार्टिकल है प्रदूषण के ये ठंड की ओस फंस जाते है और स्मॉग का रूप धारण कर लेते हैं जैसे आप धुआं देखते है. इसका सीधा तालुक है मेडिकल साइंस में जो हमारे शरीर मे धमनियों प्लाक्स बनते है यानी कोलेस्ट्रोल का डिपाजिट हो ना उससे और इससे और स्मोकिंग दोनों के चलते वह बहुत जल्दी बनते हैं और यही कारण है कि हमारे देश में जो फ्री में चार हाटैक्स है यानी यंग लोगों में जो हार्टअटैक है उसकी तादाद बहुत ज्यादा है तो प्रदूषण से मेडिकल रिसर्च के मुताबिक सीधा ताल्लुक है इसका और इस को बहुत गंभीरता से हमें लेना चाहिए.


जिन्हें दिल की तकलीफ है उनके लिए यह कितना खतरनाक है घातक है?


जो पहले से दिल की तकलीफ से ग्रसित है जिनकी एंजियोप्लास्टी हुई है या जिनकी हार्ट सर्जरी हुई है या जिन्हें ब्लड प्रेशर है यह देखा गया है कि उनकी तकलीफ है इस दौरान बढ़ जाती है. एक तो ठंड की वजह से और ठंड के साथ जो यह प्रदूषण है. इससे उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है सांस की तकलीफ होती है और इसकी वजह से उनके दिल पर बोझ पड़ता है और दवाइयों की मात्राएं हैं वह बढ़ जाती है. साथ ही इन प्लाट के अक्षर होने से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है. हमने देखा है कि अक्टूबर से फरवरी के बीच जब ठंड पड़ती है तो हार्ट अटैक के केस बढ़ जाते हैं.


ऐसे में क्या सावधानी बरतनी चाहिए उन लोगों जिन्हें दिल की कोई बीमारी है?


इसमे खास बात है कि हम दिल के मरीजों को कहते है कि नियमित व्यायाम करना है और इसके लिए घर से निकलना है, लेकिन बाहर प्रदूषण है तो जहां फायदा होना चाहिए. वहां इसका नुकसान होगा. तो आप दिन का वो समय तय करें जब ठंड कम से कम हो प्रदूषण कम हो और खुले जहां पर पेड़ हो या पार्क है वहां जाकर या फिर जिम में जाकर एक्सरसाइज करें. जल्दी सुबह और देर शाम का समय जब प्रदूषण होता उसमे ना जायें.


जो स्वास्थ्य है उन्हें क्या क्या सावधानी बरतने की जरूरत है?


इसमें कोरोना की देन है की मास्क लगाना जरूरी है तो मास्क पहने, हो सके तो N95 इसे कुछ हद तक पॉल्युशन के पार्टिकल के इंहेलेशन बच सकते है. कोरोना से बचने के लिए और प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहने. खाने पीने का धयान दें, ज्यादा तला भुना ना खाएं, चिकनाई से बचें. स्मोक और टोबैको ना लें. साथ ही स्टीम लेते रहे बीच बीच में, घर मे एयर प्यूरीफायर लगा सकते है.


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