K T Rama Rao case: तेलंगाना के एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री केटी रामाराव के खिलाफ फॉर्मूला ई कार रेसिंग के आयोजन में कथित अनियमितताओं के मामले में शिकायत दर्ज की है. केटीआर, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बेटे हैं. यह मामला फरवरी 2022 में हैदराबाद में आयोजित कार्यक्रम से जुड़ा है.


केटी रामाराव (KTR): इस मामले में मुख्य आरोपी है. इसके अलावा अरविंद कुमार, जो पूर्व नगर प्रशासन और शहरी विकास सचिव है वो दूसरे आरोपी है. तीसरे आरोपी बीएलएन रेड्डी है. वो हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (HMDA) के पूर्व मुख्य अभियंता है. एसीबी के अनुसार, फॉर्मूला ई आयोजन में वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं, जिसमें बिना कैबिनेट मंजूरी के धनराशि स्वीकृत की गई. आरोप है कि HMDA ने विदेशी आयोजकों (Formula E Organizers - FEO) को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए ₹45 करोड़ का भुगतान किया.


जांच की मुख्य बातें
कथित अनियमित भुगतान पर आरबीआई ने तत्कालीन तेलंगाना सरकार पर ₹8 करोड़ का जुर्माना लगाया. कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद 2023 में आरबीआई के जुर्माने के कारणों की जांच की गई. इसमें वित्तीय गड़बड़ी और नियमों के उल्लंघन उजागर हुए. इसके बाद मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया.


केटीआर का बयान और बचाव
केटीआर ने सभी आरोपों से इनकार किया. उनका कहना है कि आयोजन का उद्देश्य हैदराबाद की वैश्विक छवि को बढ़ावा देना था. उन्होंने कहा कि फॉर्मूला ई आयोजन ने शहर को सियोल और केप टाउन जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थलों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा किया. HMDA को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति थी. इसके लिए वित्त विभाग या कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं थी. हालांकि, अगर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो मैं जेल जाने को तैयार हूं. वहीं, दिसंबर 2023 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और अन्य नेताओं ने आयोजन में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. इसके बाद उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर मामले पर विधानसभा में चर्चा कराने का अनुरोध किया है.
 
फॉर्मूला ई आयोजन और विवाद


2022 में फॉर्मूला ई आयोजकों, ग्रीनको, और ऐस नेक्स्ट जेन प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ.  जिसके बाद ₹45 करोड़ का भुगतान FEO को किया गया. आरोप है कि भुगतान कैबिनेट स्वीकृति के बिना हुआ, और चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद समझौता किया गया.


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