CITU Union President Murder Case: ईस्ट दिल्ली (East Delhi) की स्पेशल स्टाफ पुलिस (Police) टीम ने ओखला इंडस्ट्रियल एरिया (Okhla Industrial Area) में CITU यूनियन के प्रेसिडेंट राजेन्द्र सिंह की हत्या के मामले में 21 सालों से फरार चल रहे एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. इसकी पहचान अंजनी कुमार सिंह के रूप में हुई है. ये बिहार (Bihar) के समस्तीपुर (Samastipur) का रहने वाला है. लगातार फरार रहने के कारण कोर्ट ने इसे भगौड़ा भी घोषित किया था.
डीसीपी प्रियंका कश्यप के अनुसार, “स्पेशल स्टाफ पुलिस (Special Staff Police) को भगौड़ों और फरार चल रहे अपराधियों की पकड़ के लिए लगाया गया था. इसके लिए इंस्पेक्टर सतेंदर खारी के नेतृत्व में एएसआई शैलेश कुमार, नीरज कुमार और कॉन्स्टेबल रवि कुमार की टीम का गठन किया गया था. इसी के तहत पुलिस टीम ने छापेमारी कर आरोपी को ओखला को प्लॉट नंबर 15 से दबोच लिया.”
पुलिस को सूत्रों से मिली आरोपी की जानकारी
पुलिस टीम सूत्रों को सक्रिय कर भगोड़ों और फरार चल रहे अपराधियों के बारे में जानकारियों को विकसित करने में लगी हुई थी. इसी क्रम में पुलिस को सूत्रों से ओखला थाने में दर्ज हत्या के मामले के एक भगोड़े के बारे में सूचना मिली थी. जिसके बाद पुलिस टीम टेक्निकल सर्विलांस को सक्रिय कर उसके बारे में जानकारियों को एकत्र करने में लग गई. जिसमे उन्हें पता चला कि आरोपी अंजनी कुमार सिंह, जैतपुर के हरिनगर इलाके में छुप कर रह रहा है, और ओखला फेज 3 में सिक्योरिटी गार्ड का काम करता है.
जांच में पता चला कि आरोपी 2001 में ग्रुप-4 सिक्योरिटी टास्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम करता था और यूनियन का मेंबर था. 12 मार्च 2001 को ग्रुप 4 और CITU यूनियन मेंबर्स के साथ लेबर डिस्प्यूट में आरोपी ने अपने यूनियन प्रेसिडेंट एम के सिंह और अन्य के साथ मिल कर CITU यूनियन प्रेसिडेंट राजेन्द्र सिंह और गार्ड अनिल पर हमला कर दिया था.
मौके से फरार हो गया था अंजनी
राजेन्द्र सिंह और अनिल को अंजनी और उसके साथियों द्वारा बेरहमी से पीटा गया, जिसमे राजेन्द्र सिंह की मौत हो गई थी. जिसके बाद अंजनी मौके से फरार हो गया था. इस मामले में घायल अनिल की शिकायत पर ओखला इंडस्ट्रियल एरिया थाने में मामला दर्ज किया गया था.
कोर्ट ने 7 आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया गया
इस मामले में 3 आरोपियों, भगवान ठाकुर, अवधेश और मोहम्मद सलीम को 2001 में ही गिरफ्तार कर लिया गया था, जिन्हें ट्रायल के बाद सजा भी हो गयी. जबकि इस मामले में अंजनी सहित अन्य 7 आरोपियों को 1 मार्च 2002 को कोर्ट द्वारा भगोड़ा घोषित कर दिया गया था.
गिरफ्तारी से बचता रहा अंजनी
बाद में इस मामले के 5 भगौड़े शिवजी पांडेय, मधुरेन्द्र सिंह, सुनील कुमार, राजकुमार और जय प्रकाश यादव को भी गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि अंजनी लगातार अपनी गिरफ्तारी से बचता रहा.
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