नई दिल्ली: नोटबंदी के दो साल बाद एक बार फिर देश में कैश की किल्लत खड़ी हो गई है. दस राज्यों के नागरिक एटीएम और बैंक की लाइन में लगे हैं और शिकायत कर रहें हैं कि उन्हें कैश नहीं मिल रहा. सरकार दावा कर रही है कि देश में पर्याप्त कैश है और एक दो दिन में स्थिति सामान्य हो जाएगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली से लेकर आर्थिक सचिव तक ने मोर्चा संभाला हुआ है. इन सबके बीच कुछ अहम सवाल हैं जो हर कोई पूछना चाहता है. एबीपी न्यूज़ अपनी पड़ताल के बाद सरकार के दावे और उनसे जुड़े सवाल उठा रहा है.

सरकार का पहला दावा- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि देश में पर्याप्त कैश है.


देश में कैश की किल्लत को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ''बाजार और बैंकों में पर्याप्त मात्रा में कैश उपलब्ध है. अभी कैश की समस्या इसलिए है, क्योंकि कुछ जगहों पर अचानक और असामान्य मांग बढ़ी है. इस स्थिति से जल्द से जल्द निपटा जा रहा है.'' यहां पढ़ें पूरी खबर


पहला सवाल

अगर वित्त मंत्री अरुण जेटली दावा कर रहे हैं कि पर्याप्त कैश है तो ये दिक्कत क्यों हो रही है? क्यों 'पर्याप्त कैश' के हिसाब से राज्यों को पैसे का बंटवारा नहीं किया गया. सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि अब ज्यादा मात्रा में नोट छापे जाएंगे. लेकिन अगर पर्याप्त मात्रा में कैश है तो फिर ज्यादा कैश छापने की जरूरत क्यों पड़ रही है? सरकार की दोनों बातें एक दूसरे की विरोधाभाषी हैं.


शिवराज सिंह चौहान का दावा: 2000 के नोट की कालाबाजारी हो रही है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैश की किल्लत को लेकर कल बड़ा दावा किया था. शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ''पंद्रह लाख करोड़ के नोट बाजार में थे और आज साढ़े सोलह लाख करोड़ के नोट छापकर बाजार में भेजे गए हैं. लेकिन दो दो हजार के नोट कहां जा रहे हैं? कौन दबा कर रख रहा है? कौन कैश की कमी पैदा कर रहा है? ये दिक्कतें पैदा करने के लिए षडयंत्र है. सरकार भी सख्ती से कार्रवाई करेगी.'' शिवराज सिंह चौहान के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भी कालाबाजारी की बात कही है.



दूसरा सवाल

अगर शिवराज सिंह चौहान और उनके वित्त मंत्री को कालाबाजारी की जानकारी थी तो समय रहते इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. अगर शिवराज सिंह चौहान को उन लोगों के बारे में पता है जो दो हजार के नोट दबा कर बैठे हैं तो उनका नाम बताते हुए कार्रवाई क्यों नहीं करते? हालांकि एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कालाबाजारी की जानकारी होने से साफ इनकार किया है.


बिहार में कैश की कम सप्लाई: सूत्र

आरबीआई के सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि बिहार को कैश की कम सप्लाई की गई. सूत्रों के मुताबिक, बिहार में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को प्रति दिन 250 करोड़ कैश की जरूरत होती है. लेकिन उसे प्रति दिन सिर्फ 125 करोड़ कैश ही दिया गया. बिहार में एसबीआई के 1100 एटीएम हैं. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर


तीसरा सवाल

एक ओर सरकार और आरबीआई पर्याप्त कैश की बात कर रही है तो वहीं दूसरी ओर बिहार में एसबीआई को कम कैश दिया जा रहा है. बिहार में आज कैश की सबसे बड़ी किल्लत है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि आरबीआई शादी और त्यौहारी सीजन को देखते हुए एसबीआई को डिमांड से कम पैसा क्यों दे रहा था?


नोटबंदी से ज्यादा कैश अभी मौजूद: आरबीआई रिपोर्ट

आरबीआई रिपोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘’हालात भले ही नोटबंदी जैसे बने हों, लेकिन सरकारी खजाने की हालत नोटबंदी के दिनों जैसी बिल्कुल नहीं है. देश में इस वक्त कैश की कोई कमी नहीं है. नोटबंदी के समय से ज्याद कैश अभी मौजूद है. नोटबंदी से चार दिन पहले चार नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ कैश मौजूद था. 31 मार्च 2017 को बाजार में 13.35 लाख करोड़ कैश की मौजूदगी बताई गई. 6 अप्रैल 2018 को 18.42 लाख करोड़ यानी नोटबंदी के समय के ज्यादा कैश बाजार में मौजूद है.’’  यहां पढ़ें पूरी खबर

चौथा सवाल


जब कैश नोटबंदी से ज्यादा तो दिक्कत क्यों? आज कैश की किल्लत नोटबंदी से हो रही है, लेकिन आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि अभी बाजार में नोटबंदी के समय से ज्यादा कैश है. तो फिर नोटबंदी जैसे हालात क्यों बन रहे हैं? नोटबंदी के वक्त करेंसी का बड़ा हिस्सा चलन से बाहर हो गया था, लेकिन अभी तो ऐसी कोई स्थिति नहीं है फिर भी आम जनता को कैश की किल्लत झेलनी पड़ रही है?