Caste Based Census: बिहार में जातिगत जनगणना को मिली सर्वदलीय मंजूरी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कह दी ये बड़ी बात
डॉ जायसवाल ने लिखा कि भारत सरकार अपनी जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं. अभी नरेंद्र मोदी जी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए हैं. हम जाति के आधार पर भेद नहीं करते.
Bihar Caste Based Census: बिहार में जातीय जनगणना (Bihar Caste Census) कराये जाने को लेकर फैसला हो गया है. बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) में सर्व सम्मति से सभी दलों ने जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूर दी. इस बैठक के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने फेसबुक के जरिए बैठक में उठे विषयों के बारे में जानकारी दी.
उन्होंने लिखा कि आज पटना में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की अध्यक्षता में जातीय गणना को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल हुआ. इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि जातीय और जाति में भी उपजातीय आधारित सभी धर्मों की गणना का सर्वेक्षण होगा. जायसवाल ने लिखा कि हम बाबा साहब के संविधान में प्रदत्त सातवें शेड्यूल के अधिकारों में किसी तरह की छेड़खानी नहीं करी है.
गरीब कल्याण के लिए बनती हैं कितनी योजनाएं ?
वहीं नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह सर्वे या गणना ओबीसी कमीशन या किसी अन्य तरीके से होनी चाहिए. डॉ जायसवाल ने लिखा कि भारत सरकार अपनी जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं. अभी माननीय नरेंद्र मोदी जी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं. हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते.
बैठक में जातिगत जनगणना से जुड़ी आशंकाओं पर हुई चर्चा के बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा कि मैंने अपनी बातों को रखते हुए सीएम के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा.
मुस्लिम समुदाय के लिए क्या बोले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ?
डॉ संजय जायसवाल ने आगे लिखा कि पहली जातीय और उप-जातीय गणना के कारण किसी रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जोड़ा जाए और बाद में इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाया जाए. दूसरा, सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हक मारी करने का काम करते हैं. यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं वह इस गणना के आड़ में पिछड़े और अति-पिछड़े नहीं बन जाएं.
उन्होंने लिखा कि ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है. तीसरी आशंका के तौर पर उन्होंने लिखा कि भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है. यह बिहार में नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की जरूरत है.
क्या उप जातीय सर्वेक्षण कराने की भी की गई मांग ?
जातिगत जनगणना को लेकर आज आयोजित बैठक के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने फेसबुक के जरिए बैठक में उठे विषयों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि आज पटना में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी की अध्यक्षता में जातीय गणना को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल हुआ. इस बात की सहमति व्यक्त की गई कि जातीय एवं जाति में भी उपजातीय आधारित सभी धर्मों की गणना या सर्वेक्षण होगा.
उन्होंने लिखा कि हम केंद्र के बाबा साहब अंबेडकर जी के संविधान प्रदत सातवें शेड्यूल के अधिकारों में किसी तरह की छेड़खानी नहीं करेंगे. नेता प्रतिपक्ष ने भी कहा कि यह सर्वे या गणना ओबीसी कमीशन या अन्य तरह से होनी चाहिए. डॉ जायसवाल ने लिखा कि भारत सरकार अपने जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं. अभी माननीय नरेंद्र मोदी जी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं. हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते.
बैठक में जातिगत जनगणना से जुड़ी आशंकाओं पर हुई चर्चा के बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा मैंने अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री जी के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा. उन्होंने लिखा कि पहला जातीय और उप-जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए.
सीमांचल के मुस्लिमों पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने लगाया क्या आरोप ?
दूसरा, सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं. यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति-पिछड़े नहीं बन जाएं.
उन्होंने लिखा कि ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है. तीसरी आशंका के तौर पर उन्होंने लिखा कि भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है. यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है.
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