जातिगत जनगणना: जीतनराम मांझी ने कहा- जब बाघ और बकरियों की गिनती हो सकती है तो जातियों की क्यों नहीं हो सकती?
जीतनराम मांझी के जातिगत जनगणना के समर्थन में किए गए ट्वीट के पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी ट्वीट करके जातिगत जनगणना की मांग की.
नई दिल्ली: जाति आधारित जनगणना का मामला एक बार फिर गर्माता जा रहा है. जब से सरकार ने संसद में कहा है कि इस बार जनगणना में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति की गिनती की जाएगी तबसे बिहार में ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी जीतनराम मांझी ने 2021 की जनगणना में जाति आधारित गिनती भी करने की मांग की है. मांझी ने जातिगत जनगणना के समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा, "जब देश में सांप, बाघ, बकरी की जनगणना हो सकती है तो फिर जातियों की क्यों नहीं? देश के विकास के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है. पता तो लगे कि किसकी कितनी आबादी है और उसे सत्ता में कितनी भागीगारी मिली."
जब देश में सांप,बाघ,बकरी की जनगणना हो सकती है तो फिर जातियों की क्यों नहीं?
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) July 24, 2021
देश के विकास के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है।
पता तो लगे कि किसकी कितनी आबादी है और उसे सत्ता में कितनी भागीगारी मिली।
जीतनराम मांझी के ट्वीट के पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी ट्वीट करके जातिगत जनगणना की मांग की. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. बिहार विधान मंडल ने दिनांक 18.02.19 एवं पुनः बिहार विधानसभा ने दिनांक 27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसे केंद्र सरकार को भेजा गया था. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए."
हम लोगों का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार विधान मंडल ने दिनांक-18.02.19 एवं पुनः बिहार विधान सभा ने दिनांक-27.02.20 को सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था तथा इसेे केन्द्र सरकार को भेजा गया था। केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) July 24, 2021
उधर जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि 31 जुलाई को दिल्ली में होने वाली जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जाति आधारित जनगणना की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से पार्टी निराश है. 20 जुलाई को लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जानकारी दी थी कि 2021 की जनगणना में अलग से जातिगत जनगणना नहीं की जाएगी.
बता दें कि बिहार की राजनीति पिछले 30 सालों से ओबीसी राजनीति के इर्द गिर्द ही घूमती रही है. ऐसे में सभी पार्टियों को इस वोटबैंक की चिंता है. इसलिए जाति आधारित गिनती के मसले पर जेडीयू और उसकी विरोधी आरजेडी भी एक सुर में बोल रही है. विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मसले पर केंद्र और बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए जाति की गिनती करवाने की मांग की है.