Vadhvan Brothers: देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड (Banking Fraud) के मामले में सीबीआई (CBI) ने कार्रवाई करते हुए डीएचएफएल (DHFL) के पूर्व प्रमोटर कपिल (Kapil) और धीरज वाधवान (Dheeraj Vadhvan) को हिरासत में लिया है. इस मामले में सीबीआई इन लोगों को मुंबई (Mumbai) से दिल्ली (Delhi) लेकर आ गई है. अब इन लोगों को अदालत (Court) में पेश कर सीबीआई उनकी रिमांड की मांग करेगी. ये मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank Of India) के नेतृत्व में 17 बैंकों के साथ धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है. इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया था उसके बाद ये कार्रवाई की है. 


यूनियन बैंक सहित 17 बैंकों के संघ ने डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर कपिल और धीरज वाधवान पर नया मामला तब दर्ज किया गया जब हाल ही में एनसीएलएटी अदालत (National Company Law Tribunal) ने 40,000 करोड़ रुपये की संपत्ति महज़ 1 रुपए में पीरामल हाउसिंग को उपहार में देने के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित बैंकों के कंसोर्टियम को फटकार लगाई. गौरतलब है कि, वाधवान बंधुओ सहित FD धारक और NCD धारकों ने पीरामल हाउसिंग को महज़ 1 रुपये में 40,000 करोड़ रुपये की संपत्ति उपहार में देने के लिए बैंक के खिलाफ उच्च न्यायालय में कदम रखा.


कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर दर्ज हुआ मामला


केंद्रीय अन्वेषण ब्युरो के अधिकारी डीएचएफएल के पूर्व प्रमोटर कपिल और धीरज वाधवान से पूछताछ कर रही है. CBI सूत्रों के मुताबिक़, पूछताछ के दौरान वाधवान बंधुओ ने बताया की जब उन्होंने यूनियन बैंक ओफ़ इंडिया सहित 16 बैंकों के संघ के गड़बड़ियों, अनियमितताओं, बैंक अधिकारियों द्वारा अपनी ख़ामियां छिपाने का मामला उठाया और कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया तब उनपर नया FIR दर्ज कराया गया है. जबकि 2 साल तक इसपर चुप्पी साधी गई थी. ग़ौरतलब है कि, यस बैंक व DHFL घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई कर रही है और इसी से जुड़े एक नए मामले में मुंबई के नामी बिज़नेसमैन वधवान बंधु CBI के कस्टडी में है.


सीओसी की भूमिका पर भी हो सीबीआई जांच


DHFL के प्रोमोटरो ने क़र्ज़दाताओं को क़र्ज़ चुकाने की याचिका NCLT अदालत में कीं थी जिसपर NCLT अदालत ने क़र्ज़दाता बैंकों को सेटलमेंट करने का सुझाव दिया था. हालाकि, एसबीआई कैपिटल मार्केट और ईएंडवाई द्वारा पारित प्रस्ताव को बैंकों ने अस्वीकार कर दिया और साथ ही NCLT के ऑर्डर पर NCLAT से रोक लगा ली. एक तरफ़ जहां CBI इस मामले की जांच में जुटी है वहीं बैंक के खाताधारक़ो ने हस्ताक्षर मुहिम चलाई है. खाताधारक सवाल उठा रहे है कि डीएचएफएल में लेनदारों की समिति (सीओसी) का लिया गया निर्णय 40,000 करोड़ रुपये की सम्पत्ति की वसूली का मूल्य 1 रुपये का निर्धारण करके क्या ग्राहकों के हित के लिए फ़ैसला है? डीएचएफएल में लेनदारों की समिति (COC) की भूमिका पर सीबीआई जांच की आवश्यकता की मांग उठ रही है.


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