नौकरी के नाम भारतीयों को रूस-यूक्रेन जंग में धकेलने वाले गिरोह का भंडाफोड़, ऐसे आया पकड़ में
सीबीआई ने 6 मार्च को मानव तस्करी नेटवर्क के गिरोह का भंडाफोड़ किया था. ये गैंग युवाओं को विदेश में अच्छी सैलरी वाली नौकरी का लालच देकर शिकार बनाते थे. गैंग सोशल मीडिया एड के जरिए जाल में फंसाता था.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को भारतीयों को रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजने वाले मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया. जांच एजेंसी ने गिरोह में शामिल दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दोनों केरल के रहने वाले हैं. इससे पहले 24 अप्रैल को सीबीआई ने दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
दरअसल, रूस और यूक्रेन में जारी जंग के बीच इसी साल फरवरी में कुछ भारतीयों के युद्ध क्षेत्र में फंसे होने की चौंकाने वाली खबर सामने आई थी. इन लोगों को रूसी कंपनियों द्वारा हेल्पर के तौर पर भर्ती किया गया था. लेकिन उन्हें जबरदस्ती यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेज दिया गया. इन परिवारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई थी.
सीबीआई ने 6 मार्च को मानव तस्करी नेटवर्क के गिरोह का भंडाफोड़ किया था. ये गैंग देशभर से युवाओं को विदेश में अच्छी सैलरी वाली नौकरी का लालच देकर शिकार बनाते थे. गैंग यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया एड के जरिए युवाओं को अपने जाल में फंसाता था. इसके बाद इन लोगों के पासपोर्ट जब्त करने के बाद उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेज दिया जाता था. इससे पहले उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाती थी.
फरवरी में कुछ भारतीयों ने सोशल मीडिया के जरिए रूस युद्ध में फंसे होने की जानकारी दी थी. इतना ही नहीं इन लोगों ने बताया था कि इनके कुछ साथी युद्ध के दौरान जख्मी भी हुए हैं. इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में जांच शुरू की थी और पूरे भारत में फैली 17 वीजा परामर्श कंपनियों, उनके मालिकों और एजेंट पर केस दर्ज किया था. सीबीआई को ऐसे 35 मामले मिले हैं जिनमें सोशल मीडिया के जरिए नौकरियों के झूठे वादे का लालच देकर युवाओं को रूस ले जाया गया था.
सीबीआई ने इस मामले में अरुण और येसुदास जूनियर को गिरफ्तार किया है. इससे पहले 24 अप्रैल को कन्याकुमारी के निजिल जोबी और मुंबई से एंटनी मिशेल को गिरफ्तार किया था.